मुख्यपृष्ठनए समाचाररु. १,५०० में नहीं बनते हैं भाई-बहन के पवित्र रिश्ते! ... ‘लाडली...

रु. १,५०० में नहीं बनते हैं भाई-बहन के पवित्र रिश्ते! … ‘लाडली बहन योजना’ को लेकर महायुति पर सुप्रिया सुले ने कसा तंज

सामना संवाददाता / मुंबई
लोकसभा चुनाव के बाद बहनें लाडली हो गई हैं, लेकिन १,५०० रुपए से रिश्ते नहीं बनते हैं। इस रिश्ते को लेकर भी महायुति में श्रेय की लड़ाई छिड़ गई है। इस तरह का तंज राकांपा (शरदचंद्र पवार) की सांसद सुप्रिया सुले ने ‘लाडली बहन योजना’ को लेकर महायुति पर कसा। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सांसद सुप्रिया सुले ने सांगली स्थित तासगांव में अयोजित एक कार्यक्रम में ‘लाडली बहन योजना’ को लेकर महायुति सरकार पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि भले ही आप अपनी बहन को कुछ न दें, फिर भी आपकी बहन आपसे प्यार करती है। लेकिन दुर्भाग्य है कि इस सरकार में लाडली बहन पर भी श्रेय लेने को लेकर विवाद शुरू है। सुप्रिया सुले ने कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि दुनिया में संस्कारों का सबसे पवित्र रिश्ता भाई-बहन का होता है, लेकिन इस पवित्र रिश्ते पर राजनीति हो रही है।
सुप्रिया सुले ने कहा कि एक साल पहले पार्टी ख़त्म हो गई थी और चिह्न भी चला गया था। ऐसे में इस बात पर संदेह जताया जा रहा था कि नया चिह्न मिलेगा या नहीं? हालांकि, पांडुरंगा ने हमें तुरही चिह्न दे दिया। तुरही का निशान आज वाड़ी, बस्तियों और गांव-गांव तक पहुंच गया है। बारामती लोकसभा चुनाव में जनता ने इसे हाथों-हाथ लिया। इसलिए मैं उनका ऋणी हूं। सुले ने कहा कि सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं। कुछ लोग हमसे पूछ रहे हैं कि अगर हमें अच्छा चिह्न मिला है तो हम अदालती लड़ाई क्यों लड़ रहे हैं? इस पर सुले ने कहा कि यह लड़ाई सिद्धांतों की है।

अन्य समाचार