हिंदी दिवस और हिंदी सप्ताह हमें यह प्रेरणा देता है कि हम अपनी मातृभाषा को वैश्विक स्तर पर कैसे स्थापित करें। आज की दुनिया में हिंदी को एक सशक्त और व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा बनाने का सपना साकार हो सकता हैं, अगर हम हिन्दुस्थानी लोग मिलकर प्रयास करें। हमें यह समझना होगा कि हिंदी का वैश्विक विस्तार तभी संभव है जब हम अपने कार्यक्षेत्र और व्यवसाय के माध्यम से दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं।
कनाडा में पंजाबी और चीनी भाषाओं को मिली मान्यता इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण है। वहां इन भाषाओं में ट्रेन अनाउंसमेंट और अन्य सार्वजनिक सेवाओं में इन भाषाओं का उपयोग होता हैं क्योंकि पंजाबी और चीनी समुदाय ने अपनी सांस्कृतिक और भाषाई पहचान को बरकरार रखा हैं। उन्होंने विदेश में भी अपने व्यवसाय और जीवनशैली के माध्यम से अपनी भाषा को एक पहचान दी हैं। इसी तरह, अगर हम भारतीय लोग भी विश्व के विभिन्न कोनों में जाकर अपनी हिंदी भाषा और संस्कृति को जीवंत रखेंगे, तो निश्चित रूप से हिंदी का गौरव बढ़ेगा।
इस पहल से न केवल हिंदी को अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक विशेष स्थान मिलेगा, बल्कि देश के युवाओं को रोजगार के नए अवसर भी प्राप्त होंगे। उन्हें यह सीखने को मिलेगा कि अपनी भाषा और संस्कृति को साथ लेकर भी विदेशों में सफलता प्राप्त की जा सकती है। रोजगार की तलाश में जब हमारे युवा हिंदी के साथ विदेशों में जाएंगे और वहां अपने व्यवसाय को बढ़ाएंगे, तो वे हिन्दी को भी दुनिया के हर कोने में पहुँचाएंगे।
इसलिए, इस हिन्दी सप्ताह पर हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम हिंदी को वैश्विक मंच पर स्थापित करने के लिए अपनी भूमिका निभाएंगे। यह न केवल भाषा का सम्मान होगा, बल्कि हमारे देश का भी सम्मान होगा। आइए, हम सब मिलकर इस दिशा में प्रयास करें और हिन्दी को एक वैश्विक भाषा का दर्जा दिलाएं।
आर्थिक और निवेश मामलों के लिए सदैव तत्पर, जागरूक व्यक्तित्व, देश-विदेश की यात्राओं से रूबरू जाने-माने मशहूर वित्त विशेषज्ञ।