कविता श्रीवास्तव
जम्मू-कश्मीर में इन दिनों चुनावी भाषणों का एनकाउंटर और बंदूक की गोलियों के एनकाउंटर दोनों ही जारी हैं। शनिवार को जम्मू के डोडा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी सभा को संबोधित किया। इससे ठीक एक दिन पहले शुक्रवार को आतंकवादियों ने सेना के दो जवानों को अपना निशाना बनाया और दोनों ही जवान शहीद हो गए। बड़े इंतजार और भारी मांग के बाद जम्मू-कश्मीर में अब जाकर राष्ट्रपति शासन समाप्त होने को है। वहां विधानसभा के चुनाव घोषित हो चुके हैं और चुनाव प्रचारों के अभियान ने जोर पकड़ा है। शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू के डोडा में चुनावी सभा को संबोधित किया। वे आतंकवाद पर भी बरसे। उन्होंने कहा कि पहले लोग लाल चौक आने से डरते थे। पहले यहां पत्थरबाजी होती थी। पर यह भी सच है कि प्रधानमंत्री के आगमन से पहले ही आतंकवादियों ने किश्तवाड़ में सेना के दो जवानों की जान ले ली है। घाटी में अभी भी हमारी सुरक्षा एजेंसियों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ चल रही है। उल्लेखनीय है कि मई से लेकर अब तक जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों से हुई मुठभेड़ में १९ जवान शहीद हो चुके हैं। इनमें से १५ जवान जम्मू रीजन में ही शहीद हुए हैं। जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों की गतिविधियां थमने का नाम नहीं ले रही हैं। वहां जंगलों में खासी तादाद में आतंकवादियों के छिपे होने की आशंका है। बीते दिनों में हमारी सेना के जवानों ने कुछ आतंकवादियों को भी मार गिराया है, लेकिन वे बार-बार चुनौतियां देकर अपनी उपस्थिति का एहसास करा रहे हैं। जम्मू रीजन में पिछले वर्ष ४३ आतंकवादी हमले और २०२४ में अब तक २० आतंकवादी हमले हुए हैं। इन हमलों के बीच जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने से आतंकवाद रुकेगा इसकी गारंटी कोई नहीं दे सकता है। इन वादियों में आतंकी घटनाओं का बढ़ना चिंताजनक है। कुछ लोग धारा-३७० हटाए जाने को ताजा आतंकवाद का कारण बताते हैं, लेकिन आतंकी तो पहले भी सक्रिय थे। दूसरी ओर चीन से हमारे गतिरोध के बाद पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बड़ी संख्या में सैनिकों की फिर से तैनाती के बाद तनाव समझा जाता है। हमारी खुफिया जानकारी में भी कुछ कमी महसूस की जा रही है। आतंकियों द्वारा आधुनिक तकनीक का उपयोग बढ़ा है। विदेशी आतंकवादी एलओसी पार करके हमले कर रहे हैं। पाकिस्तान पर बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण आतंकियों ने स्थानीय लोगों का साथ लिया, यह आशंका भी है। हालांकि, कुछ हमलों पर नए आतंकवादी समूहों ने दावा किया है। ये नई चुनौतियां हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए व्यापक रणनीति जरूरी है। फिलहाल सभी की निगाहें विधानसभा चुनावों पर लगी हुई हैं। गोलियों की दनादन के बीच स्वयं प्रधानमंत्री भी जम्मू के साथ-साथ कश्मीर में भी प्रचार सभाएं लेंगे। दस साल बाद तीन चरणों में हो रहे जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनाव का परिणाम ४ अक्टूबर को आएगा। तब तक भाषणों का एनकाउंटर जारी रहेगा।