मध्य प्रदेश में देश का पहला साउंड प्रूफ ब्रिज बना था। यह ब्रिज एनएच-४४ पर है। २९ किमी की लंबाई वाले इस हाईवे का निर्माण २०२१ में ९६० करोड़ रुपए की लागत से हुआ था। तीन साल में ही यह हाईवे बदहाल हो गया है, पूरा पैसा गड्ढे में चला गया है। भारी बारिश के बाद साउंड प्रूफ ब्रिज पर कई जगह गड्ढे हो गए हैं। तीन साल बाद ही इस साउंड प्रूफ ब्रिज पर गाड़ियां हिचकोले खा रही हैं। खबरें आने के बाद निर्माणकर्ता कंपनी का मरम्मत के काम शुरू कर दिए हैं, लेकिन गुणवत्ता को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं।
केंद्र सरकार की तरफ से इस साउंड प्रूफ ब्रिज का निर्माण कराया गया था। इसके निर्माण में तीन साल पहले करीब ९६० करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। २९ किमी की लंबाई की सड़क जो जंगल से होकर गुजरती है, उस पर रॉकेट की रफ्तार से उस समय गाड़ियां भागती थीं। साथ ही दावा किया गया था कि उच्च क्वालिटी के मैटेरियल का इस्तेमाल हुआ है। ब्रिज पर जगह-जगह गड्ढे हो गए हैं। कई जगहों पर पैच वर्क दिख रहा है। स्थानीय लोग दावा करते हैं कि ब्रिज की तरफ जानवरों को आने से रोकने के लिए बाउंड्री पर जालियां लगाई गई थीं। जालियां भी अब टूटने लगी हैं। कई जगह पर बाउंड्री वॉल की जालियां उखड़ गई हैं। ऐसे में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। इस साउंड प्रूफ ब्रिज का केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने १६ सितंबर २०२१ को लोकार्पण किया था। मोहगांव से खवासा के बीच बने नए हाईवे पर जानवरों की सुरक्षा का खास ख्याल रखा गया था। हाइवे पर गाड़ियों के शोर और रोशनी से जानवरों को कोई परेशानी न हो, इसके लिए भी खास इंतजाम किए गए हैं।