मुख्यपृष्ठस्तंभसटायर : जीवन में पीछे बैठने के फायदे

सटायर : जीवन में पीछे बैठने के फायदे

– डाॅ रवीन्द्र कुमार

जीवन में पीछे बैठने के अनेक फायदे हैं। ये वो लोग नहीं जानते जो पहली पंक्ति में बैठते हैं। पहली पंक्ति में बैठने के नुकसान मैं स्कूल-कॉलेज से ही देख रहा हूँ। आप हमेशा नज़र में रहते हैं और आपका ‘क्रिटिकल रिव्यू’ सा कुछ सतत चलता रहता है। पहली पंक्ति से आगे आप जा नहीं सकते। या तो नीचे गिर जाएंगे या क्लास से बाहर हो जाएंगे। जबकि पीछे की पंक्ति में बैठने के जो फायदे हैं उनमें से कुछ आपके लाभ के लिए यहां दे रहा हूँ। अतः जब भी जीवन में मौका लगे पीछे की सीट पकड़ लीजिये और फिर राम झरोखे बैठ सबका मुजरा लीजिये

1. आप सब पर नज़र रख सकते हैं, आपको कोई नहीं देख सकता। याद है कैसे वो ‘इनविजिलेटर’ बहुत खतरनाक होता था जो परीक्षा रूम में पीछे खड़ा हो जाता था। आप नकल या कोई अन्य दंद-फंद नहीं कर सकते थे। न जाने कब दबे पाँव आकर आपको दबोच ले।
2. जब आप पीछे बैठते हैं तो लाइफ़ में आगे बढ़ने को कुछ न कुछ दिखता रहता है। आगे बढ़ने का ‘मोटिवेशन’ बना रहता है। जो पहले ही आगे बैठे हैं उनकी चिंता तो महज़ यह होती है कि कैसे न कैसे यह पहेली साफ बनी रहे, यहाँ से इधर-उधर होना अपमान का बायस होगा।
3. आगे जो बैठते हैं वो बहुत ‘सेल्फ-काॅन्शस’ रहते हैं, मैं टिप-टॉप दिख रहा हूँ कि नहीं, हेयर-डाई ठीक लगी है अथवा नहीं। हाई कमांड ने देखा कि नहीं, इस बार हाई कमांड वैसे नहीं मुस्कराये जैसे पिछली साल मुस्कराए थे। लेडिस लोग का अलग चिंतन चल रहा होता है। पार्लर वाली ने काम ठीक किया है या नहीं, मेरी साड़ी नोटिस हुई या नहीं, कोई और तो मेरी जैसी साड़ी नहीं पहने था।
4. आप पीछे बैठ कर मुस्करा सकते हैं, बातचीत कर सकते हैं, अपने अगले प्रोग्राम बना सकते हैं। आप पर ‘परफाॅर्मेंस प्रेशर’ नहीं होता। आप किसी भी दबाव में नहीं होते हैं।
5. आप पीछे बैठ कर देख सकते हैं कि किस-किस नेता की उम्र क्या है, किस किस की हेयर-डाई ठीक नहीं लगी है और उनके सिर के गंजेपन से उनकी उम्र का सही आकलन किया जा सकता है। किसको रिटायर किया जा सकता है, किसको अभी एक-आध साल और चलाया जा सकता है।
6. कुशल सैन्य संचालन के कौशल में आप जानते ही हैं कि आगे की लाइन में या तो गाय-बैल रखे जाते थे या फिर लेडिस को रखा जाता था। शत्रु कन्फ्यूज़ हो जाता था, गाय-बैल पर, लेडिस पर आक्रमण किया जाये या नहीं।
7. ध्यान रहे थियेटर में पीछे की सीट की क़ीमत आगे की सीट की मुकाबले कहीं ज्यादा होती है।
8. पीछे की सीट पर बैठ कर आप चिट/नोट पास कर सकते हैं। मोबाइल देख सकते हैं, मैसज भेज और पढ़ सकते हैं। मोबाइल पर गेम खेल सकते हैं। किसी का ध्यान भी न जाएगा और आप अपना काम कर जाएँगे। इससे आपको सीख भी मिलेगी कि जब आप सत्ता में आएंगे तो आपको क्या करना है क्या नहीं करना है।
9. पीछे की सीट पर बैठ कर आप चाहे तो ऊंघ सकते हैं या चाहें तो हँस और मुस्करा सकते हैं। आपको जबर्दस्ती का हंसना-मुस्कराना नहीं पड़ेगा और न ही बात बे-बात पर ताली बजानी पड़ेगी। आपने ये नहीं सोचना है कि क्या पहनें कुर्ता-पाजामा या टी-शर्ट। आप जब चाहें तब पीछे के दरवाजे से धीरे से कट सकते हैं, किसी का ध्यान भी न जाएगा। यह विलासिता आगे की सफ में बैठे लोगों को उपलब्ध नहीं। वे ऐसा करेंगे तो शायद उनकी छुट्टी ही हो जाये।
10. ऐसा कहा जाता है कि ‘मीक शैल इनहेरिट दी अर्थ’ अर्थात जो गरीब-गुरबा है जो निर्बल-लाचार है पृथ्वी का असली स्वामी/हकदार वही है और अंतिम हंसी उसी की होगी।

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