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एक मच्छर रु. २,४०० का लगा रहा है फटका! …रोकथाम पर पब्लिक को खर्च करना पड़ रहा है भारी पैसा… ७० फीसदी लोगों का ने कहा, नहीं होती फॉगिंग

धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
एक फिल्म में नाना पाटकर का बोला एक संवाद काफी मशहूर हुआ था कि एक मच्छर आदमी को हिजड़ा बना देता है। मच्छर से हर कोई परेशान रहता है। यही वजह है कि उक्त संवाद को लोगों ने काफी पसंद किया था। हालात आज भी बदले नहीं हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि एक मच्छर आदमी को सालाना २,४०० रुपयों का फटका लगा रहा है। असल में ऐसा मनपा के नकारेपन की वजह से हो रहा है। एक सर्वे में खुलासा हुआ है कि पब्लिक द्वारा मच्छरों को भगानेपर होनेवाले कुल खर्च का सालाना २४०० रुपए हर एक व्यक्ति के हिस्से आ रहा है। मच्छरों को खत्म करने पर मनपा का बिल्कुल भी ध्यान नहीं है। इस कारण लोगों को मच्छरों को मारने व भगाने पर इतनी रकम खर्च करनी पड़ रही है। यह खुलासा एक सर्वेक्षण से हुआ है। बारिश के बाद मच्छरों की समस्या काफी बढ़ जाती है और इसके कारण आम लोग मलेरिया, डेंगू व चिकनगुनिया जैसी खतरनाक बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। मुंबई के अलावा देश के अन्य हिस्सों में भी कमोबेश यही स्थिति है। सर्वे में ७० फीसदी लोगों का कहना है कि मनपा उनके क्षेत्र में फॉगिंग बिल्कुल नहीं करती। ऐसे में मच्छर खत्म हों तो कैसे?

डेंगू की नकल कर रहा है चिकनगुनिया
मच्छरों को मारने में नाकाम मनपा!
देश के सभी स्थानीय निकायों की हालत करीब एक जैसी है

मायानगरी मुंबई समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में बारिश हो रही है। इस वजह से मच्छरों का प्रकोप काफी ज्यादा बढ़ गया है। इसकी वजह से अस्पतालों में डेंगू और मलेरिया समेत अन्य मौसमी बीमारियों के मरीज बढ़े हैं। इसे लेकर देश में किए गए सर्वे के अनुसार, ४४ फीसदी परिवारों ने बताया कि अगस्त से लेकर अक्टूबर तक मच्छरों का प्रकोप अधिक रहता है। मच्छरों को मारने में मनपाएं और स्थानीय निकाय नाकाम साबित हो रहे हैं। इस फेहरिस्त में मुंबई मनपा भी शामिल है। दूसरी तरफ १० में से सात परिवारों ने बताया कि उनके नगर निगम या पंचायत अपने क्षेत्र में मच्छर मारने के लिए फॉगिंग बिल्कुल नहीं करते हैं या शायद ही कभी कोई फॉगिंग की होगी। इसके साथ ही ४९ फीसदी परिवार सालाना २,४००, जबकि ३७ फीसदी परिवार उससे अधिक रकम खर्च कर रहे हैं।
हिंदुस्थान में शायद ही कोई बड़ा-छोटा शहर या कस्बा होगा जो मानसून के दौरान मच्छरों के खतरे का सामना नहीं कर रहा होगा। इसके चलते हैदराबाद, पुणे, दिल्ली, मुंबई, बंगलुरु, चेन्नई, कोच्चि आदि शहरों में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के बड़ी संख्या में मामले सामने आ रहे हैं।

चिकनगुनिया का आया नया वैरिएंट
पुणे के एक और निवासी ने चिकनगुनिया पर ‘एक्स’ पर चेतावनी देते हुए कहा कि शहर में चिकनगुनिया का एक नया वैरिएंट स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा कर रहा है। इसके २,००० से अधिक संक्रमित सामने आए हैं। यह खतरनाक वैरिएंट काली नाक और पक्षाघात सहित नए लक्षण पेश कर रहा है। यह तरल पदार्थ जमा होने और कम प्लेटलेट काउंट के साथ डेंगू की नकल कर रहा है। सर्वे में बताया गया है कि मुंबई में बीते महीने १६४, जबकि सितंबर में ३५ केस रजिस्टर किए गए। बंगलुरु से हाल की रिपोर्टें इस ओर इशारा करती हैं

५४,००० परिवारों में हुआ सर्वे
हिंदुस्थान के ३२२ जिलों में स्थित ५४,००० से अधिक परिवार सर्वे में शामिल हुए। इसमें ६२ फीसदी पुरुष थे, जबकि ३८ फीसदी महिलाएं थीं। सर्वे में पाया गया कि ४९ फीसदी भारतीय परिवार मच्छर नियंत्रण पर हर महीने २०० रुपए या उससे अधिक खर्च करते हैं। उनमें से ३७ फीसदी लोग २०० रुपए तक खर्च करते हैं।

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