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टैक्सेशन की जटिलताओं का नतीजा … मोदी सरकार की आर्थिक पेचीदगियों ने ली जान!

देर रात तक जीएसटी-आयकर के कामों का रहता था बोझ
सामना संवाददाता / पुणे
एक तरफ आर्थिक संकट के चलते कंपनियों में छंटनी का डर तो वहीं दूसरी तरफ बढ़ रहे काम के बोझ से कर्मचारियों की हालत बद से बदतर होती जा रही है। मोदी राज में जब से जीएसटी लागू हुआ है तब से टैक्सेशन की जटिलताएं बढ़ गई हैं। मोदी सरकार की आर्थिक पेचीदगियों के चलते ही जीएसटी-आयकर के कामों का बोझ बढ़ गया है, जिसके चलते कर्मचारियों को दम तोड़ने के अलावा कोई विकल्प नजर नहीं आता है। ऐसे ही काम के बोझ तले दब चुकी २६ वर्षीय सीए की मौत होने के मामले ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है, जिस पर देर रात तक जीएसटी-आयकर के कामों का बोझ रहता था और इससे उपजे तनाव ने उसकी जान ले ली।
बता दें कि ईवाई पुणे की एक २६ वर्षीय कर्मचारी। अधिक काम के बोझ से एक युवती की मौत का मामला देश को झकझोरने वाला है। इसके पीछे कई कारण हैं, जिसमें सबसे पहला कारण काम का बोझ है, जिसकी वजह से एम्प्लॉई तनाव में आ जाते हैं। आज एक सीए पर पहले की अपेक्षा काम का बोझ बढ़ता जा रहा है। जीएसटी लागू होने के बाद से तो काम का बोझ ब़ढ़ती ही जा रहा है। सच तो ये है कि मोदी राज में बेरोजगारी बढ़ी है। काम व कारोबार सरकार की गलत नीतियों और बेतहाशा टैक्स की वजह से मंदी और घटती मांग का शिकार हुआ है, उससे व्यापारिक घाटे की ओर बढ़ते कारोबार पर कम-से-कम एम्प्लॉईज से अधिक-से-अधिक काम करवाए जाने का जबरदस्त दबाव है। इस दबाव-तनाव का मूल कारण आर्थिक नीतियों की नाकामी है। इस मामले में ईवाई इंडिया के चेयरमैन राजीव मेमानी द्वारा सभी कर्मचारियों को भेजा गया ईमेल ऑनलाइन लीक हो गया है। उन्होंने लिखा, `ईवाई के साथ उनका सफर काफी छोटा…सिर्फ ४ महीने का रहा, यह इस घटना को और भी मार्मिक बनाता है।’

अखिलेश यादव ने सरकार को घेरा
अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया `एक्स’ पर ‌लिखा, `संतुलित अनुपात किसी भी देश के विकास का एक मानक होता है। पुणे में एक अंतर्राष्ट्रीय कंपनी में काम करनेवाली एक युवती की काम के तनाव से हुई मृत्यु और उस संदर्भ में उसकी मां का लिखा हुआ भावुक पत्र देश भर के युवक-युवतियों को झकझोर गया है। उन्होंने कहा, `जब देश की मेंटल हेल्थ अच्छी होगी तभी तरक्की होगी। सरकार को इस संदर्भ में सबसे पहले अपनी सोच बदलनी होगी और काम करने के तरीकों को भी, जहां ज्यादा-से-ज्यादा घंटे काम करने का दिखावटी पैमाना नहीं बल्कि अंत में परिणाम क्या निकला, ये आधार होना चाहिए।’

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