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शिवड़ी का टीबी अस्पताल बना मौत का केंद्र! … ४१ महीनों में ३,१८५ मरीजों की हुई मौत

– हर दिन दम तोड़ रहे औसतन २ से ३ रोगी
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
मुंबई मनपा द्वारा संचालित शिवड़ी का सबसे टीबी अस्पताल मरीजों के मौत का केंद्र बन गया है। आरटीआई द्वारा मांगी गई जानकारी में अस्पताल प्रशासन ने बताया है कि बीते ४१ महीनों में कुल ३,१८५ मरीजों की मौतें हुई हैं। इसमें २,१२६ पुरुषों और १,०५९ महिलाओं का समावेश है। इस तरह औसतन हर दिन दो से तीन रोगियों की मौत हो रही है। यह मौतें मुंबई मनपा की नाकामियों को उजागर कर रही है।
उल्लेखनीय है कि साल २०१८ में टीबी मुक्त भारत की घोषणा केंद्र सरकार ने की थी। इसके तहत साल २०२५ तक बीमारी को समूल नष्ट करने का लक्ष्य रखा गया था। देश के तमाम राज्यों के साथ ही महाराष्ट्र राज्य भी इस लक्ष्य को हासिल करने में जुट गया। इसमें मुंबई मनपा का स्वास्थ्य विभाग भी कहां पीछे रहने वाला था। मनपा ने भी मुहिम में शामिल होने के बाद टीबी मरीज के इलाज के लिए कई तरह के कदम उठाए जाने का दम भरती रही है, लेकिन सही नीतियों पर काम न करने पर यह बीमारी और गंभीर होती जा रही है। इसी कड़ी में मनपा के सबसे बड़े शिवड़ी स्थित टीबी अस्पताल में एक चौंकानेवाला मामला सामने आया है। इसमें ४१ महीनों में ३,१८५ मरीजों की मौतें हुई हैं, जिसने मुंबई मनपा के दावों की पूरी तरह से पोल खोलकर रख दी है।

महिलाओं से ज्यादा पुरुष मरीजों की हुई मौतें
आरटीआई एक्टिविस्ट चेतन कोठरी द्वारा मांगी गई जानकारी में बताया गया है कि साल २०२१ में ६४४ पुरुष और ३३० महिलाएं, साल २०२२ में ६२२ पुरुष और ३३७ महिलाएं, साल २०२३ में ५९० पुरुष और २६५ महिलाएं और साल २०२४ मई तक २७० पुरुष और १२७ महिलाओं की मौत हुई है। इसमें यह भी बताया गया है कि साल २०२१ में ड्रग सेंसटिव वाले ७५७ और ड्रग रेसिटेंस वाले २३७ समेत ९७४, साल २०२२ में ड्रग सेंसटिव वाले ६७० और ड्रग रेसिटेंस वाले २८९ समेत ९५९, साल २०२३ में ड्रग सेंसटिव वाले ६१० और ड्रग रेसिटेंस वाले २४५ समेत २४५, साल २०२४ मई तक ड्रग सेंसटिव वाले २६९ और ड्रग रेसिटेंस वाले १३७ समेत ३९७ मरीजों की मौत हुई है।

आश्चर्यजनक है ड्रग सेंसटिव मरीजों की मौतें
आरटीआई एक्टिविस्ट चेतन कोठरी ने कहा कि मनपा टीबी अस्पताल में ड्रग सेंसटिव वाले मरीजों की मौतें आश्चर्यजनक है, क्योंकि इसका इलाज संभव है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि हो सकता है कि अस्पताल प्रशासन की तरफ से ऐसे मरीजों की अनदेखी की जा रही है, साथ ही इन मरीजों का समय से इलाज नहीं और दवाइयां नहीं मिल पा रही होंगी इसीलिए मौतों का आंकड़ा बढ़ते जा रहा है।

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