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अडानी हटाओ…धारावी बचाओ… फिर आंदोलन के लिए तैयार धारावीकर …शुरू किया जनजागरण अभियान

गुपचुप तरीके से हुए भूमिपूजन से भारी नाराजगी
सामना संवाददाता / मुंबई
अडानी ग्रुप की डीआरपीपीएल द्वारा धारावी पुनर्विकास परियोजना का काम बहुत ही गुप्त तरीके से शुरू किए जाने से धारावी निवासियों में कई तरह की आशंका के साथ भारी नाराजगी व्याप्त हो गई है। रात के अंधेरे में गुपचुप तरीके से हुए भूमिपूजन से धारावीकर असमंजस में हैं। इसे देखते हुए ‘धारावी बचाओ’ आंदोलन ने एक बार फिर जनजागरण अभियान शुरू किया है।
धारावी बचाओ आंदोलन ने कल धारावी क्रॉस रोड पर इंदिरा भीम चाल, राधाकृष्ण चाल, पेरियार नगर क्षेत्र में एक बैठक की और अडानी समूह की डीआरपीपीएल के काले मामलों को उजागर किया। आंदोलन से जुड़े लोगों ने कहा कि किसी भी विकास योजना की घोषणा किए बिना डेवलपर्स और सत्तारूढ़ दलों ने धारावी के लोगों को पात्र और अपात्र के चक्र में फंसाकर धारावी से बाहर फेंकने का पैâसला किया है। धारावी बचाओ आंदोलन के सभी घटक दलों के नेताओं ने सरकार के इस पैâसले को गंभीरता से लिया है और डेवलपर्स और सत्तारूढ़ दलों की साजिश को पलटने के लिए जोरदार तैयारी शुरू कर दी है। बैठक में अपील की गई कि सर्वे के लिए आने वाले अडानी के कर्मचारियों को घर के दस्तावेज या अपना मोबाइल नंबर न दें।
धारावीकर की वाजिब आवास की मांग को लेकर चल रही लड़ाई में सत्तारूढ़ दलों के नेता, स्थानीय कार्यकर्ता धारावी में सार्वजनिक बैठकें करके धारावीकरों को धोखा दे रहे हैं। सर्वे अधिकारी से पूछो कि वह हमें कहां घर देंगे और उनसे जीआर भी मांग लो। इस अवसर पर पूर्व विधायक बाबूराव माने ने कहा कि प्रत्येक धारावीकर पर ५०० वर्गफीट का घर और दुकान की जगह दुकान मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अब हमें अपने असली घर की लड़ाई लड़नी है। इसके लिए हम सब एक साथ आएं, किसी जाति-धर्म का भेदभाव न करें। संयोजक उल्लेश गजकोश द्वारा आयोजित बैठक में पूर्व विधायक बाबूराव माने, संदीप कटके, पॉल राफेल सहित बड़ी संख्या में स्थानीय निवासी उपस्थित थे।

एड. संदीप कटके, समन्वयक उल्लेश गजकोश ने भी डीआरपीपीएल की आलोचना करते हुए कहा कि यह एक कठिन लड़ाई है। उन्होंने एक बार फिर ‘अडानी हटाओ…धारावी बचाओ’ का नारा बुलंद किया। उन्होंने कहा कि धारावी पुनर्विकास के मुद्दे पर धारावी के लोगों को कोई गुमराह नहीं कर सकता। धारावीकर तब तक चुप नहीं बैठेंगे, जब तक उन्हें मकानों के बदले मकान और दुकानें नहीं मिल जातीं।

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