मुख्यपृष्ठस्तंभभोजपुरिया व्यंग्य : लड्डू के भोग लगाई, कुंवारन प रहम देखाई

भोजपुरिया व्यंग्य : लड्डू के भोग लगाई, कुंवारन प रहम देखाई

प्रभुनाथ शुक्ल भदोही

हमनी के नीमन जिनगी में कबो-कबो ‘आ बैल मुझे मार’ के स्थिति पैदा हो जाला। इहो होला कि हमनी के कबो-कबो बिना चाहत के भी टोला के चर्चा बन जानी जा। हम त खाली बेचारा लड्डू के बात करत बानी। खाए-पीए के बदनामी हो गइल। हाल के दिन मा हर जीभ के गौरव हो गइल बा। बेचारा टीवी बहस के मुद्दा बन गईल बा।
बिआह के लड्डू खइले होखब। कहल जाला कि बियाह के लड्डू खाए वाला के पछतावा भईल अवुरी जे ना चखले ओकरा के भी पछतावा भईल। ठीक उहे हालत हमनी के लड्डू के भी भईल बा। अब प्रसाद के रूप में खइले वाला के पछतावा हो रहल बा, लेकिन जे खाए के सोचले रहे, भगवान ओकरा के खाए के मौका ना देले, उ भगवान के आभारी बा।
देखीं भईया! लोग जवन भी करऽ, बेवजह लड्डू के बदनाम मत करऽ ना त केतना कुंवार रह जइहें। बरिसन से बियाह के लड्डू खाए के सपना के संजो के रखले बाड़े आ एह लोग से संग कवनो अन्याय ना होखे के चाहीं। बियाह के लेके उनका दिमाग अवुरी दिल मा ऊ भावना बनल रहल चाही। जवन लड्डू फूटत बा ओकरा के फुटल दिहल जाई। हे भगवान! इनकर सपना ना बिगाड़े। वइसे भी भगवान जी ई कलयुग मे शुद्ध प्रसाद के आशा छोड़ देई। काहे कि मिलावट के एह दौर में शुद्धता के कवनो गारंटी नइखे। जब आदमी के खून में मिलावट, मुनाफाखोरी, नफरत, जातिवाद, धर्मवाद, अलगाववाद भर गईल बा त ओकर सोच शुद्ध कईसे होई?
अब लड्डू के खेल लड्डू के हाथ में नइखे रहि गइल। अब ई राजनीतिक लड्डू बन गइल बा। काहे कि ई लड्डू खाली प्रसाद ना बलुक वोट बैंक के लड्डू बन गइल बा। हालांकि, हमनी के देवता के अलावे भक्त के भी एकरा चलते बहुत कष्ट हो रहल बा, एही से एगो राजनीतिक भक्त एगारह दिन के व्रत प चल गईल बाड़े। जहां तक ​​हमनी के सवाल बा त हमनी के अब असली चीज के स्वाद भुला गईल बानी जा। घी, तेल, दूध, दही, मिठाई आ मसाला सब कुछ नकली अवुरी मिलावटी हो गईल बा।
फिलहाल धरती लोकवासी खातिर एगो बुरी खबर बा। हाल ही में भइल लड्डू विवाद आ ओकरा ले के राजनीति पर देवलोक के देवता बहुते नाराज बाड़न। धरती के निविदा रद्द कई के देवलोक से सीधे प्रसाद भेजे के पैâसला भईल बा। भक्त लोग एह पैâसला के पूरा मन से स्वागत कइले बा। हालांकि, राजनीतिक दल एकरा प भक्त के लोकतांत्रिक अधिकार अवुरी आस्था के खिलाफ बतावत चिंता जतवले बाड़े। पैâसला के देवलोक के तानाशाही बतावल गइल बा। बाकि भगवान आ भक्त दुनु एह पैâसला से खुश बाड़े।

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