नाट्यस्थल पर भरा है पानी, लगा है कीचड़-कचरे का ढेर
अभी तक सफाई का नहीं हुआ काम
पालक मंत्री ने खड़े किए हाथ
रामदिनेश यादव / मुंबई
राज्य की महायुति सरकार खुद को हिंदुत्ववादी सरकार होने का दावा करती है, लेकिन इसी सरकार पर हिंदू धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन की सर्वाधिक उपेक्षा होने का आरोप भी है। इसी क्रम में इन दिनों महायुति सरकार ने मुंबई की ऐतिहासिक रामलीला समिति के साथ सौतेला व्यवहार किया है। आजाद मैदान में यह भव्य रामलीला होती है। अगले सप्ताह से नवरात्रि शुरू हो रही है, मगर नाट्यस्थल पर पानी, कीचड़ और कचरे का अंबार लगा है।
आजाद मैदान में रामलीला आयोजन का स्थल आज तालाब और खाड़ी बना हुआ है। अगल-बगल डंपिंग ग्राउंड जैसा हाल है और इसे सुधारने के लिए जब बात की गई तो सरकार के पालक मंत्री ने हाथ खड़े कर दिए हैं। एक दिन पहले मनपा मुख्यालय में हुई बैठक में पालक मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने आयोजकों की किसी भी प्रकार की मदद करने से इनकार कर दिया।
वर्ष १९५८ से महाराष्ट्र रामलीला समिति हर साल रामलीला का आयोजन करती है। पहले फोर्ट में, फिर आजाद मैदान में पिछले ४८ वर्षों से लगातार उक्त समिति रामलीला का आयोजन करती है। पिछले साल महायुति के कार्यक्रम को लेकर किए सत्ता पक्ष और इसी मंत्री के आग्रह पर आयोजकों ने अपनी परंपरा तोड़ दी और एक दिन पहले ही रावण का दहन किया, जिसे लेकर कई लोगों ने नाराजगी जताई तो सत्ता पक्ष की जमकर किरकिरी हुई। लेकिन इस बार जब सरकार को इस मैदान को दुरुस्त कर इनकी मदद करने की बारी आई तो साफ हाथ उठा लिया, जिसे लेकर आयोजकों में भी नाराजगी है।
दरअसल, आजाद मैदान के अगल-बगल मेट्रो ट्रेन का काम शुरू होने से रामलीला आयोजन स्थल पर मिट्टी और कचरा जमा है। बड़ी-बड़ी मशीनों की आवाजाही से वहां बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं, जिसके चलते उस स्थल पर तालाब की तरह पानी जमा है। ऐसे में वहां रामलीला का आयोजन मुश्किल है। इस बारे में महाराष्ट्र रामलीला समिति के महामंत्री सुरेंद्र मिश्रा ने बताया कि उन्होंने मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा से रामलीला आयोजकों की समस्याओं को लेकर आयोजित बैठक में मैदान को दुरुस्त करने की मांग की तो उन्होंने हाथ खड़े कर दिए। हमें सरकार से आशा थी, लेकिन कोई ठोस मदद मिलते नजर नहीं आ रही है। अब हमारे सामने जो स्थिति है, उसका सामना हमें ही करना है।