पेन किलर से लेकर बीपी, वैâल्शियम, विटामिन सप्लीमेंट्स, एंटी डायबिटीज की गोलियां शामिल
सामना संवाददाता / मुंबई
आजकल हल्की-फुल्की बीमारी होने पर भी डॉक्टर धड़ल्ले से दवाइयां लिखते हैं और लोग गटक लेते हैं। मगर अब अब दवाइयां गटकने से पहले सोच लीजिए, क्योंकि सरकार के लैब में ५३ प्रमुख दवाइयां टेस्ट में फेल हो गई हैं। ऐसे में ये दवाएं रोग को दूर करने की बजाय आपके मर्ज को और बढ़ा देंगी।
मिली जानकारी के अनुसार, पैरासिटामॉल सहित ५३ दवाएं क्वॉलिटी टेस्ट में फेल पाई गई हैं। इनमें विटामिन, शुगर और ब्लड प्रेशर की दवाओं के अलावा एंटीबायोटिक्स भी शामिल हैं। देश की सबसे बड़ी ड्रग रेगुलेटरी बॉडी सीएसडीएसओ (सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन) ने इसकी लिस्ट जारी की है। लिस्ट में कैल्शियम और विटामिन डी३ सप्लीमेंट्स, एंटी डायबिटीज की गोलियां और हाई ब्लड प्रेशर की दवाएं भी शामिल हैं। बैन की गई दवाओं की लिस्ट में दौरे और एंग्जाइटी में इस्तेमाल की जाने वाली क्लोनाजेपाम टैबलेट, दर्द निवारक डिक्लाफेनेक, सांस की बीमारी के लिए इस्तेमाल होने वाली एंब्रॉक्सोल, एंटी फंगल फ्लुकोनाजोल और कुछ मल्टी विटामिन और वैâल्शियम की गोलियां भी हैं। ये दवाएं कई बड़ी कंपनियों द्वारा बनाई जाती हैं। इसमें पेट के इंफेक्शन के लिए दी जाने वाली दवा मेट्रोनिडाजोल भी इस जांच में फेल हो गई है। इसी तरह शेलकाल टैबलेट्स भी जांच में असफल रहीं। इनमें से ५ दवाइयां नकली थीं। यानी दवा बनाने वाली कंपनियों ने कहा कि ये उनकी मेडिसिन नहीं हैं, बल्कि मार्वेâट में उनके नाम से नकली दवाइयां बेची जा रही हैं। केंद्र सरकार ने इसी साल अगस्त में १५६ फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन (एफडीसी) दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया था। ये आमतौर पर बुखार और सर्दी के अलावा पेन किलर, मल्टी-विटामिन और एंटीबायोटिक्स के रूप में इस्तेमाल की जा रही थीं।
इस्तेमाल से इंसानों को खतरा
सरकार ने कहा कि इनके इस्तेमाल से इंसानों को खतरा होने की आशंका है, इसलिए देशभर में इन दवाओं के प्रोडक्शन, कंजम्पशन और डिस्ट्रीब्यूशन पर रोक रहेगी। बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इन एफडीसी दवाओं में मौजूद इन्ग्रेडिएंट्स का कोई मेडिकल जस्टिफिकेशन नहीं है। एक ही गोली में एक से ज्यादा दवाओं को मिलाकर बनाई गई दवाएं फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन ड्रग्स (एफडीसी) कहलाती हैं, इन दवाओं को कॉकटेल ड्रग्स के नाम से भी जाना जाता है। केंद्र सरकार की ओर से जारी आदेश के मुताबिक, एमाइलेज, प्रोटीएज, ग्लूकोएमाइलेज, पेक्टिनेज, अल्फा गैलेक्टोसिडेज, लैक्टेज, बीटा-ग्लूकोनेज, सेल्युलेस, लाइपेज, ब्रोमेलैन, जाइलेनस, हेमिकेल्यूलेस, माल्ट डायस्टेज, इनवर्टेज और पापेन के इस्तेमाल से इंसानों को खतरा होने की आशंका है।