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मलेशिया में फंसे देश के 61मजदूर, सबसे अधिक झारखंड से, सरकार से वतन वापसी के लिए लगा रहे गुहार

अनिल मिश्र/रांची

अपने देश में काम के साथ-साथ उचित मजदूरी नहीं मिलने के कारण बेरोजगारों की एक बड़ी फौज अपने प्रदेश और भारत छोड़कर विदेशों की ओर रोजी-रोटी के लिए प्रत्येक वर्ष लाखों की संख्या में युवा पलायन करते हैं। ताकि अपने परिवार और बाल-बच्चों का भरण-पोषण कर सके। जिसमें सबसे ज्यादा अरब देशों में जाते हैं। वहीं अन्य देशों में रोजी-रोजगार की जुगाड़ के लिए अपना घर-परिवार छोड़कर वतन से दूर रहने को मजबूर हो जाते है। लेकिन विदेश के लोगों द्वारा इनका शारीरिक, मानसिक और आर्थिक शोषण भी किया जाता है। जिसके कारण अपने देश आने के लिए व्याकुल हो जाते हैं। लेकिन वहां की सरकारें इनकी आवाज नहीं सुनती है। जिसके कारण अपनी मिट्टी में जन्म लेनेवाले अपने लोगों और सरकारों से किसी भी तरह अपने वतन वापसी के लिए गुहार लगाते हैं।

इसी बेरोजगारी के कारण विश्व के दक्षिण पूर्व मध्य एशिया में स्थित मलेशिया में अपने देश भारत के वर्तमान में झारखंड, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा और तेलंगाना के 61 प्रवासी मजदूरों ने चार महीने से मजदूरी का भुगतान न मिलने के कारण बेहद कठिन हालात का सामना कर रहे हैं। इन मजदूरों ने भोजन और अन्य बुनियादी आवश्यकताओं की कमी के चलते उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से वीडियो साझा कर अपनी दुर्दशा बयान की है । वहीं केंद्र एवं राज्य सरकारों से अपनी वतन वापसी और बकाया वेतन के भुगतान की गुहार लगाई है।

प्रवासी मजदूरों के हितों के लिए काम करने वाले समाजसेवी सिकंदर अली ने इस मामले को उठाते हुए, भारत सरकार और झारखंड सरकार से मजदूरों की तत्काल मदद की अपील की है। उन्होंने यह भी कहा कि रोजगार की कमी के चलते राज्य से लगातार मजदूर विदेश जा रहे हैं। जहाँ उन्हें शोषण और प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है। सरकार से अपेक्षा की जा रही है कि वह मजदूरों के पलायन को रोकने के लिए स्थानीय स्तर पर रोजगार के बेहतर अवसर प्रदान करे। साथ ही जो मजदूर मलेशिया में फंसे हैं उन्हें शीघ्र वतन वापसी कराने के लिए पहल की जाय।

झारखंड प्रदेश के बोकारो जिला के गोमिया प्रखंड अंतर्गत हुरलुंग, बलिया, सिधाबारा, कतवारी, कर्री, नावाडीह प्रखंड के पिपराडीह, कर्मा, हरलाडीह, कंजकीरो, चंद्रपुरा प्रखंड के दहियारी और निचितपुर गांव के रहने वाले इन मजदूरों में वीरेंद्र महतो, रामू कुमार, महावीर महतो, दीपक कुमार तुरी, नेपाली सिंह, दिनेश्वर महतो, चेतलाल महतो, राजेंद्र कुमार महतो, गणेश कुमार महतो, धनपत महतो, नंदलाल महतो, विनोद महतो, धनेश्वर महतो, चुन्नीलाल महतो, परवेज आलम, दामू महतो, दशरथ महतो, नीतीश कुमार हैं। वहीं हजारीबाग जिला के टाटीझरिया और विष्णुगढ़ प्रखंड के रोहित कुमार, विनोद महतो 3, नागेश्वर कुमार, मुकेश महतो, सुखदेव महतो, प्रेम महतो, रवि कुमार, योगेंद्र यादव, पुरोहित महतो, सुरेंद्र मांझी, सुरेश बेसरा, सोहन मरांडी, सेवाचंद महतो, दिनेश्वर महतो, कुलदीप महतो, हुलास कुमार महतो, तिलेश्वर महतो, दशरथ पुरी, अर्जुन तुरी, उमेश महतो, चिंतामणि महतो, बुधन महतो, ईश्वर महतो, कुलेश्वर महतो, हरिलाल महतो, खुशी लाल महतो, महेंद्र महतो, जितेंद्र महतो। जबकि गिरिडीह जिला ताल्लुक रखने वाले कैलाश कुमार, नागेश्वर महतो, कृष्णा देव महतो, रामचंद्र महतो, महेश महतो, चिंतामणि महतो, कृष्णापुरी शामिल है। वहीं उत्तर प्रदेश, उड़ीसा एवं तेलंगाना के रहने वाले अभिजीत कुमार, संदीप, शशीकांत मौर्य, राहुल भारती, जितेंद्र प्रसाद, राजू मुकिया, मोहन मुकिया, गुड्डू प्रफुल्ल शामिल हैं। अब देखना यह है कि श्रम मंत्रालय और विदेश मंत्रालय की पहल पर कब तक इन लोग अपने घर वापस आते हैं।

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