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योगी के राज में सांसत में किसान! …मैनपुरी में डीएपी की किल्लत से जूझ रहे किसान

मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ

मैनपुरी के घिरोर में लगी किसानों की लाइन किसी और काम के लिए नहीं बल्कि डीएपी लेने के लिए लगी है। सुबह चार बजे से ही सरकारी और निजी उर्वरक की दुकानों पर ऐसी ही लाइनें लग रही हैं। इसके बाद भी किसानों को डीएपी नहीं मिल पा रही है। दूसरी तरफ निजी दुकानदार डीएपी के साथ दूसरे उर्वरक खरीदने का भी दबाव बना रहे हैं।

ब्रज क्षेत्र के आलू बेल्ट में आलू की बुवाई के लिए किसानों को डीएपी की जरूरत पड़ने लगी है। खेतों में मेहनत करने के साथ ही डीएपी खाद के लिए अलग से उन्हें मेहनत करनी पड़ रही है। कस्बा घिरोर स्थित कृषक भारती सेवा केंद्र मैनपुरी रोड पर डीएपी के लिए सुबह 4 बजे से किसान लाइन में लग जाते हैं। छह घंटे बाद सुबह 10 बजे वितरण शुरू होता है। नंबर आते-आते खाद खत्म होने से किसान खाली हाथ ही लौटते हैं। बीते दो दिनों से किसानों को ऐसी ही परेशानी झेलनी पड़ रही है। किसानों का कहना है कि दोनों दिन वे लाइन में लगे, लेकिन उन्हें डीएपी नहीं मिल सकी। बृहस्पतिवार को केंद्र बंद रहनेे से डीएपी का वितरण ही नहीं हुआ। किसानों ने डीएम से डीएपी की व्यवस्था कराने और नियमानुसार वितरण कराने की मांग की है। मांग करने वालों में किसान अंकित शर्मा, अनिल कुमार, प्रवीन कुमार, मोहित, सुरेश चंद्र, विपिन, अनुरुद्ध प्रताप आदि शामिल हैं।

सरकारी केंद्रों पर जहां डीएपी उपलब्ध नहीं हो पा रही है तो वहीं निजी दुकानदारों के अपने नखरे हैं। अधिक कीमत वसूलने की लगातार शिकायतें मिलने से प्रशासन सख्त है। इससे बचने के लिए दुकानदारों ने नया फंडा अपनाया है। वे किसानों को डीएपी के साथ जिंक, पोटाश या जाइम साथ में लेने के लिए बाध्य कर रहे हैं। ये उर्वरक निम्न स्तरीय होते हैं, लेकिन इसके नाम पर अधिक कीमत वसूल की जाती है। अगर कोई ये नहीं लेता है तो उसे डीएपी भी नहीं दी जाती है।

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