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ब्रेकिंग ब्लंडर : नजर लागी राजा तोरे बंगले पर

राजेश विक्रांत

साहब बहुत परेशान हैं। बहुत ज्यादा ईमानदार होना भी कभी-कभी मुसीबत का कारण बन जाता है। साहब ने बहुत ईमानदारी से करोड़ों रुपए कमाए थे, उस मेहनत की कमाई से उत्तराखंड के हल्द्वानी में एक बंगला खरीदा और उस बंगले में कुछ पैसे, वैसे भी रख दिए थे, लेकिन बंगले से उनकी मेहनत की कमाई का एक छोटा-सा अंश कोई पार कर गया। सिर्फ ५० करोड़ रुपए की नकदी बंगले से चोरी हो गई। अब खबर यूं बनी है कि उत्तर प्रदेश में योगीराज के सबसे चर्चित नौकरशाह रहे जो अब रिटायरमेंट के बाद दूसरी भूमिका में हैं, उनके उत्तराखंड के बंगले से पचास करोड़ की नगदी चोर उड़ा ले गए हैं।
साहब के पुण्य प्रताप की वजह से ये खबर किसी अखबार में तो नहीं आई, लेकिन सोशल मीडिया पर खूब चल रही है। इससे साहब का पारा हाई हो गया है। साहब गुस्से के माउंट एवरेस्ट पर जा पहुंचे हैं। अब तो साहब ने धमकी भी जारी कर दी है कि कोई भी बंगला और चोरी का नाम तक न ले, जो नाम लेगा, साहब उसकी ईंट से ईंट बजा देंगे। साहब भी बहुत खूब विशेषताओं वाले हैं। साहब बहुत ताकतवर अफसर रहे हैं और वर्तमान में मुख्यमंत्री के सलाहकार हैं। वे सरकार में सूचना विभाग, गृह विभाग, ऊर्जा विभाग संभाल चुके हैं। यूपीडा सीईओ और यूपीपीसीएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक भी रह चुके हैं। यूपीडा के सीईओ रहते पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे और बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य उन्हीं की देखरेख में संपन्न हुआ था। कोरोना काल में ऑक्सीजन की व्यवस्था कराने और प्लांट लगवाने में उनकी कड़ी मेहनत दिखाई दी थी। रिटायरमेंट के बाद साहब मुख्यमंत्री के सलाहकार बन गए और अब तक तीन सेवा विस्तार पा चुके हैं। साहब भयंकर रूप से ईमानदार हैं। तमाम व्यस्तताओं के बावजूद वे देश सेवा के लिए समय निकालने की आदिकालीन आदत से मजबूर हैं। राष्ट्रव्यापी कमीशन के भक्त हैं। काम करने के बदले समुचित शुल्क वसूलते हैं। दिलजले कहते हैं कि सबसे पहले तो साहब पर केस होना चाहिए। ईडी, इनकम टैक्स व सीबीआई को उनकी जांच करनी चाहिए, क्योंकि तनख्वाह से तो कोई सरकारी अफसर जिंदगी भर में पचास करोड़ इकट्ठा नहीं कर सकता। पचास करोड़ नहीं इकट्ठा कर सकता, लेकिन दो चार सौ करोड़ तो इकट्ठा कर ही सकता है। साहब का तो विशेष सम्मान होना चाहिए, क्योंकि साहब ने उससे भी ज्यादा इकट्ठा किया है। पर साहब पर क्यों होना चाहिए केस? साहब ने ईमानदारी से ही पैसे इकट्ठा किए हैं। साहब की ईमानदारी और त्याग देखिए कि हल्द्वानी के बंगले के मालिक होने के बावजूद साहब ने उस बंगले की नेम प्लेट पर पुराने मालिक का ही नाम रहने दिया है। इतना बड़ा त्याग और कोई कर सकता है क्या?
शायर जमाली ने सही लिखा है- भरम बनाए हुए है ये गर्द की चादर, खुदा के वास्ते आईना साफ मत करना। साहब भी ईमानदारी का भरम बनाए हुए हैं। उनके बॉस को रुपए पैसे के मामले में बिना दाग-धब्बे का मुख्यमंत्री होने का तमगा हासिल है, लेकिन साहब समेत मुख्यमंत्री के अफसरों के बारे में कोई ऐसा दावा नहीं करता। चोरी का मामला पुलिस में दर्ज नहीं हुआ है, लेकिन दोनों राज्यों की गुप्तचर एजेंसियों को चुपचाप चोरों की तलाश में सक्रिय किया गया है, ऐसा बताया जा रहा है। हमारे एक मित्र का कहना है कि कितनी भी एजेंसियां लग जाएं, यह चोर मिलेगा ही नहीं। इसका तार केदारनाथ मंदिर से २२८ किलो सोना गायब करनेवाले गिरोह से जुड़ा है। इसके पीछे माफिया सरगना एक नंबरी और दो नंबरी हो सकते हैं। चोर को सांप सूंघ जाए, वैसा ही मामला है! काली कमाई का हिस्सा ऊपर तक पहुंचा होगा, इसीलिए सब मौन धारण किए हुए हैं।
(लेखक तीन दशक से पत्रिकारिता में सक्रिय हैं और ११ पुस्तकों का लेखन-संपादन कर चुके वरिष्ठ व्यंग्यकार हैं।)

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