डॉ. बालकृष्ण मिश्र
गुरुजी, मेरी राशि क्या है और समय कैसा चल रहा है?
– मारुति शर्मा
(जन्म- २६ अप्रैल १९८६, समय- सायं ७.२५, स्थान- अंधेरी, मुंबई)
मारुति जी, आपका जन्म तुला लग्न एवं वृश्चिक राशि में हुआ है। वृश्चिक राशि पर इस समय शनि की ढैया चल रही है। दशमेश चंद्र नीच राशि का हो करके द्वितीय भाव में शनि के साथ बैठ करके आपके मन को व्यग्र बनाने के कारण मन में नकारात्मक बातें आती हैं। इस समय केतु की महादशा चल रही है। आपकी कुंडली में केतु लग्न में बैठ करके लग्न को और सप्तम भाव में राहु लाभेश सूर्य के साथ बैठ करके लाभ भाव को दूषित कर ग्रहण एवं कालसर्प योग बना दिया है। कालसर्प एवं ग्रहण योग की पूजा वैदिक विधि से कराने पर जीवन को विकसित करने का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।
गुरुजी, मेरा समय खराब चल रहा है?
– आर्यन शुक्ला
(जन्म- १६ फरवरी २०००, समय- रात्रि ११.१० बजे, स्थान- जौनपुर, उत्तर प्रदेश)
आर्यन जी, आपका जन्म वृष लग्न एवं मिथुन राशि में हुआ है और लग्नेश एवं अष्टमेश शुक्र केतु के साथ सुख भाव में बैठा हुआ है। इस योग ने आपको भाग्यशाली बना दिया है, लेकिन लग्नेश एवं अष्टमेश शुक्र होने के कारण आपका स्वास्थ प्रतिकूल नजर आ रहा है। शनि आपकी कुंडली में पंचमेश एवं सुखेश शनि नीच राशि का होकर सप्तम स्थान पर बैठकर लग्न को पूर्ण दृष्टि से देख रहा है इसलिए स्वास्थ्य निश्चित ही प्रतिकूल रहेगा। वर्तमान समय में शनि की महादशा में शुक्र का अंतर चल रहा है। बुध एवं सूर्य पंचम भाव में स्थित होने के कारण आपकी शिक्षा अच्छी होगी एवं आप बुद्धिमान भी होंगे। स्वास्थ्य को अनुकूल बनाने के लिए वैदिक विधि से ग्रहशांति करना आवश्यक है।
गुरुजी, बहुत ही ज्यादा कर्ज हो गया है?
– राजेश यादव
(जन्म- २७ जुलाई १९७१, समय- ७.४५ बजे, स्थान- वापी, गुजरात)
राजेश जी, आपका जन्म कर्क लग्न एवं कन्या राशि में हुआ है। लग्न में ही धनेश, सुखेश, सूर्य और शुक्र ने बैठकर आपको भाग्यशाली बनाया है, लेकिन लग्न में ही केतु बैठकर आपको कन्फ्यूजन में डाल देता है। आपकी कुंडली में सप्तम स्थान पर मंगल के साथ राहु बैठकर अंगारक योग बना दिया है। मंगल की दृष्टि धन भाव पर द्वादशेश में पड़ रही है। अत: खर्च होना स्वाभाविक हैं और इसी कारण भाग्य आपका साथ नहीं दे रहा है। शनि को अनुकूल बनाने के लिए हनुमान जी का दर्शन और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
गुरुजी, मैं बहुत परेशान हूं, कोई उपाय बताएं?
– राम दुबे
(जन्म- १ अप्रैल १९७२, समय- ५.४६ बजे, स्थान- जौनपुर, उत्तर प्रदेश)
राम जी, आपका जन्म मीन लग्न एवं तुला राशि में हुआ है। लग्नेश बृहस्पति दो केंद्रों का स्वामी होकर कमजोर स्थिति में स्वगृही होकर कर्म भाव पर बैठा है। कर्म भाव पर बैठकर ‘स्थान हानि करो जीव:’ आपके कार्यक्षेत्र को कमजोर बना दिया है और पंचमेश चंद्रमा अष्टम भाव में स्थित है। चंद्रमा के आगे-पीछे कोई न होने के कारण केमद्रुम योग बन रहा है। इस योग के कारण बार-बार उतार-चढ़ाव भी बना रहता है। जीवन में स्थाई विकास प्राप्त करने के लिए केमद्रुम योग की पूजा करवाना आवश्यक है।