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`लाडली बहन’ योजना ने वसई में नौवीं-दसवीं की कक्षाएं की बंद! …सरकार के खजाने खाली

– शिक्षकों के वेतन के लिए नहीं हैं पैसे
सामना संवाददाता / मुंबई
लोकसभा चुनाव में हार के बाद इडी सरकार ने वोटों पर नजर रखते हुए `लाडली बहन’ योजना शुरू की, इसके लिए विभिन्न विभागों के खजाने से करोड़ों रुपए निकाले जाने से सरकार की आर्थिक हालत खस्ता हो गई है। परिणाम स्वरूप आदिवासी छात्रों के भविष्य के लिए शुरू किए गए पालघर जिले के स्कूलों पर इसकी सबसे पहली मार पड़ी है। इन स्कूलों के शिक्षकों को वेतन देने के लिए पैसे नहीं होने के कारण जिला परिषद ने नौवीं और दसवीं कक्षा की दो कक्षाएं बंद कर दी हैं, जिसके कारण वसई के सैकड़ों विद्यार्थियों का भविष्य अधर में लटक गया है। इससे नाराज आदिवासियों ने शिदे-भाजपा सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरने की चेतावनी दी है।पालघर जिले में २०१७ में जिला परिषद ने अपने स्कूलों में नौवीं और दसवीं की ४१ कक्षाएं शुरू की थीं। इनमें ७ हजार ३५८ विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। इसके लिए डीएड डिग्रीधारी अभ्यर्थियों को संविदा के आधार पर शिक्षक नियुक्त किया गया था। इन सभी शिक्षकों को जिला परिषद के फंड से भुगतान किया जाता है। सरकार से निधि उपलब्ध होते ही शिक्षकों के वेतन का भुगतान कर दिया जाता है, लेकिन तीन महीने तक सरकार से फंड नहीं मिलने के कारण जिला परिषद ने वसई तालुका के भरोल और पेल्हार में नौवीं और दसवीं की इन ४१ कक्षाओं में से दो को बंद कर दिया है।
सरकार के पास लाडली बहन, लाडली भाऊ जैसी योजनाओं पर पैसा खर्च करने के लिए धन है। लेकिन यह शर्म की बात है कि उन विद्यार्थियों के लिए पैसा नहीं है जो देश का भविष्य हैं। नौवीं और दसवीं कक्षा को बंद करने की जिला परिषद की योजना को तुरंत वापस लिया जाए।
गणेश भुरकुंड, अध्यक्ष, आदिवासी विकास समिति

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