सामना संवाददाता / मुंबई
चाकण एमआईडीसी में बुनियादी सुविधाओं की कमी के चलते बुरी दशा से गुजर रही करीब ५० कंपनियां गुजरात, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश की ओर रुख करने लगी हैं। इस तरह का सनसनीखेज आरोप कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने लगाया है। दूसरी ओर इस तरह की चौंकानेवाली जानकारी सामने आने के बाद एक बार फिर से महाराष्ट्र में घाती सरकार की विफलता जगजाहिर हो गई है।
उल्लेखनीय है कि चाकण ऑटोमोबाइल विनिर्माण उद्योग का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यहां मर्सिडीज बेंज, वोक्सवैगन, ब्रिजस्टोन, एटलस कोप्को सहित कई विश्व स्तरीय कंपनियां हैं। चाकण में बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी है। यहां ट्रैफिक की भीड़ भी कंपनियों के लिए बड़ा सिरदर्द बन गई है। दूसरी तरफ कंपनियों के दूसरे राज्यों में पलायन का मुद्दा इंडस्ट्रीज फेडरेशन द्वारा अक्सर उठाया जाता रहा है। इस पृष्ठभूमि में उप मुख्यमंत्री अजीत पवार ने जुलाई में मुंबई में एक उच्च स्तरीय बैठक की, लेकिन उस बैठक के बाद सरकारी यंत्रणा द्वारा केवल बैठकों का दौर चलता रहा, जबकि वास्तविक तौर पर कोई कदम नहीं उठाया गया। इसलिए एमआईडीसी की लगभग ५० कंपनियां गुजरात, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में स्थानांतरित हो गई हैं। यह दावा वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने किया। इसकी पुष्टि चाकण के उद्योग संगठन ने की है। बताया जा रहा है कि इन ५० कंपनियों में महिंद्रा कंपनी भी शामिल है।
कंपनियों की उत्पादकता पर असर
चाकण एक महत्वपूर्ण ऑटोमोबाइल विनिर्माण केंद्र है और वर्तमान बुनियादी ढांचा बहुत खराब स्थिति में है। इतनी बड़ी-बड़ी कंपनियां दूसरे राज्यों में पलायन कर रही हैं। हालांकि, वहां सड़क का काम चल रहा है, लेकिन गड्ढों की समस्या बनी हुई है। खराब सड़कों के कारण ट्रैफिक जाम के साथ-साथ दुर्घटनाएं भी बढ़ी हैं। इसका असर कंपनियों की उत्पादकता पर पड़ रहा है। कंपनियों को कच्चा माल और तैयार उत्पाद समय पर बाजार में पहुंचाने में देरी का सामना करना पड़ रहा है। उद्योग संगठन की बार-बार शिकायतों और महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम के अधिकारियों के साथ कई बैठकों के बावजूद कोई प्रगति नहीं हुई है। जयराम रमेश ने तंज कसते हुए कहा है कि सरकार की निष्क्रियता के कारण बड़ी संख्या में नौकरियां खत्म हो रही हैं।
सुप्रिया सुले का तंज
राकांपा (शरदचंद्र पवार) की सांसद सुप्रिया सुले ने सोशल मिडिया एक्स पर किए पोस्ट में कहा कि महाराष्ट्र की सबसे चर्चित चाकण एमआईडीसी से एक दो नहीं, बल्कि ५० कंपनियां दूसरे राज्यों में चली गर्इं। औद्योगिक रूप से समृद्ध महाराष्ट्र में यही स्थिति है।