सुप्रीम कोर्ट ने ‘बुलडोजर जस्टिस’ के मामले की सुनवाई के दौरान मौखिक टिप्पणी में साफ कहा, ‘अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है, चाहे वह गुरुद्वारा हो या दरगाह या मंदिर, यह जनता की राह में बाधा नहीं बन सकती।’ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम यह स्पष्ट कर रहे हैं कि संपत्ति ध्वस्त किए जाने का आधार यह नहीं हो सकता कि कोई व्यक्ति आरोपी या दोषी है। जस्टिस गवई ने मुस्कुराते हुए कहा, ‘जब मैं बॉम्बे में था, तब मैंने खुद एक फुटपाथ पर अवैध अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए थे. हम अदालतों को यह निर्देश देंगे कि जब अवैध अतिक्रमण के मामले में सुनवाई कर रहे हों तो ध्यान रखें।’
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बुलडोजर एक्शन पर एक महत्वपूर्ण पैâसाला सुनाते हुए कहा कि जनता की सुरक्षा सर्वोपरि है और सड़कों पर किसी भी धार्मिक ढांचे को हटाया जाना चाहिए। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और यह आदेश सभी धर्मों के लोगों पर लागू होगा। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा, हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे। फिर चाहे वह किसी भी धर्म या समुदाय का हो। मंदिर या दरगाह या गुरुद्वारा, अगर सड़क के बीच कोई धार्मिक ढांचा है तो यह जनता के लिए बाधा नहीं बन सकती। अदालत ने कहा कि अनधिकृत निर्माणों के खिलाफ एक कानून होना चाहिए और यह धर्म पर निर्भर नहीं होना चाहिए। पीठ ने कहा कि चाहे वह मंदिर हो या दरगाह हो, सड़क, जलमार्ग या रेल ट्रेक को अवरोध कर रहे किसी भी धार्मिक ढांचे को हटाया जाना जरूरी है।