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झांकी : प्यार और इंतजार

अजय भट्टाचार्य

कांग्रेसी से भाजपा नेता बने कुलदीप बिश्नोई का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसमें कुछ लोग कुलदीप को माला पहनाते दिख रहे हैं। खास बात यह है कि उनके आगे रखीं कुर्सियां खाली नजर आ रही हैं। जिस पर पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने एक्स पर लिखा है कि जिंदगीभर तड़पते रहे ये एक कुर्सी के प्यार में, अब कुर्सियां ही कुर्सियां हैं इनके इंतजार में। लगे हाथ कांग्रेस ने भी चुटकी ली और कहा कि ‘भव्य’ स्वागत, आदमपुर के रुझान, दिख रहा हरियाणा का परिणाम। वीडियो सिर्फ ९ सेकंड का है। जिसमें ९-१० लोग आदमपुर से भाजपा प्रत्याशी भव्य बिश्नोई के पिता कुलदीप बिश्नोई को माला पहनाते दिख रहे हैं। सड़क किनारे एक जगह पर उनके सामने रखीं कुर्सियां खाली नजर आ रही हैं।
हिसार की आदमपुर विधानसभा सीट ५६ साल से चौधरी भजनलाल के परिवार का गढ़ रही है। यहां से उनके परिवार के अलावा कोई भी प्रत्याशी नहीं जीत पाया है। २०२२ में कुलदीप बिश्नोई ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर अपने बेटे भव्य को भाजपा के टिकट पर उपचुनाव में उतारकर विधायक बनाया था। अब फिर भव्य मैदान में हैं। कांग्रेस ने इस बार भजनलाल के करीबी रहे रामजीलाल के भतीजे चंद्रप्रकाश जांगड़ा को टिकट दिया है, जो भव्य को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। १९६८ में पहली बार भजनलाल यहां से जीते थे, तब से उनका किला अभेद है।
पैरोल पर पैरोल
हरियाणा में विधानसभा चुनाव के बीच डेरा प्रमुख राम रहीम ने फिर २० दिन की पैरोल वाली अर्जी चुनाव आयोग को भेजी है। आयोग ने राम रहीम को इस संबंध में पूछा है कि आप पैरोल पर बाहर क्यों आना चाहते हैं। जानकारों की मानें तो चुनाव आयोग राम रहीम की अर्जी से संतुष्ट नहीं है। राम रहीम १३ अगस्त को २१ दिन के पैरोल पर बाहर आया था। इसके बाद वह २ सितंबर को रोहतक की सुनारिया जेल लौटा था। राम रहीम पर आरोप है कि वह हरियाणा चुनाव को प्रभावित करने के लिए जेल से पैरोल लेकर बाहर आता है। राम रहीम को २०१७ में दो शिष्याओं के साथ बलात्कार के मामले में २० साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद से वह १० बार पैरोल या फरलो पर बाहर रहकर अब तक २५५ दिन यानी आठ महीने से ज्यादा समय जेल से बाहर बिता चुका है। उसके पैरोल या फरलो पर सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं कि क्योंकि इसकी टाइमिंग चुनाव के समय की होती है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और देश की कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में इनके स्तंभ प्रकाशित होते हैं।)

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