दीपक तिवारी/विदिशा
पितरों की विदाई के साथ जगत जननी मां दुर्गा के आराधना का शारदीय नवरात्रि पर्व 3 अक्टूबर से शुरू हो जाएगा। मंदिरों में और घर-घर में मां की आराधना होगी और जयकारों की गूंज रहेगी।
आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक शारदीय नवरात्र रहते हैं। इन नौ दिनों में भक्त भगवती दुर्गा की महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती के साथ नौ देवियों की पूजन अर्चना करते हैं। तो वहीं नगर के अनेक स्थानों पर जगह-जगह मां दुर्गा की साकार रूप में झांकियों के माध्यम से एवं देवी मंदिरों में भक्त मां की आराधना करते हैं साथ में भक्त अपने घरों में अखंड ज्योति जलाकर घट स्थापना एवं जवारे बोकर मां की पूजा अर्चना करते हैं एवं श्री दुर्गा सप्तशती का सकाम या निष्काम भाव से पाठ करते हैं।
धर्माधिकारी पंडित विनोद शास्त्री ने बताया कि नौ शक्तियों से युक्त होने से इसे नवरात्रि कहा जाता है। माता किस वाहन पर सवार होकर आएंगी। इसको दिनों के हिसाब से बताया गया है। अगर नवरात्रि रविवार या सोमवार को शुरू होते हैं तब कहा जाता है की मां गज की सवारी करके आएंगी। मंगलवार और शनिवार को अगर नवरात्रि शुरू होती है तो मां घोड़े की सवारी करती हैं।बृहस्पतिवार और शुक्रवार को अगर नवरात्रि शुरू होती है तो पालकी की सवारी कहा जाता है। और अगर बुधवार को नवरात्रि शुरू होती है तो मैया नौका पर सवार होकर आती हैं।इस वर्ष शारदीय नवरात्रि गुरुवार के दिन से प्रारंभ हो रही है। देवी भागवत के अनुसार यदि नवरात्रि गुरुवार से प्रारंभ होती है तो नवरात्रि का आगमन डोली पालकी में सवार होकर मां भगवती का आगमन होता है। इस कारण नवरात्रि का आगमन पालकी में सवार होकर भगवती दुर्गा का आगमन हो रहा है और नवमी तिथि शुक्रवार को होने के कारण मां भगवती दुर्गा का प्रस्थान हाथी पर सवार होकर होगा। बृहत्सार सिद्धांत में कहा गया है आश्विन शुक्ल पक्ष में श्री दुर्गा जी की पूजन करने से धर्म अर्थ काम तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है। शरद कालीन नवरात्र में जो भक्ति पूर्वक मेरी पूजा करते हैं उनको मैं प्रसन्न होकर पत्नी, पति, धन, आरोग्य तथा उन्नति प्रदान करती हूं एवं उनकी सभी मनोकामनाएं को पूर्ण करती हूं। धर्माधिकारी पंडित विनोद शास्त्री ने बताया कि इस वर्ष नवरात्रि 3 अक्टूबर से प्रारंभ होगी और 11 अक्टूबर तक रहेगी। 12 अक्टूबर शनिवार को विजयादशमी दशहरा का पर्व मनाया जाएगा। नवरात्रि में भक्त मां को प्रसन्न करने के लिए श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ, दुर्गा चालीसा, दुर्गा कवच, दुर्गा स्त्रोत, दुर्गा जी के 108 नाम नवार्ण मंत्र का जाप हवन आदि करते हैं।
श्री दुर्गा की पूजन एवं घट स्थापना का शुभ मुहूर्त दिनांक
3 अक्टूबर गुरुवार को प्रातः 6:14 से 7:45 तक शुभ की चौघड़िया
दोपहर में 12 से 3 लाभ अमृत की चौघड़िया
शाम को 4:30 से 6 तक शुभ की चौघड़िया
रात्रि में 6 से 7:30 तक अमृत की चौघड़िया
7:30 से 9 तक चरकी चौघड़िया
स्थिर लग्नों के अनुसार
प्रातः 9:30 से 11:46 तक वृश्चिक लग्न
दोपहर3:38 से 5:10 तक कुंभ लग्न
रात्रि में 8:20 से 10:18 तक वृषभ लग्न।