संदीप पांडेय
समाज की बेहतरी के लिए अपने जीवन को समर्पित करनेवाले लोग ही असल में समाज के सच्चे सिपाही कहलाते हैं। ऐसे ही एक समाजसेवी और वित्त विशेषज्ञ हैं, भरतकुमार सोलंकी। भरतकुमार सोलंकी न केवल अपने क्षेत्र में एक सफल और सम्मानित वित्त विशेषज्ञ हैं, बल्कि समाज के उत्थान और विकास में भी उनका योगदान अनुकरणीय है।
भरतकुमार सोलंकी का जन्म २ अक्टूबर, १९६४ को ऐसे दिन हुआ, जिस दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और लालबहादुर शास्त्री जैसी महान विभूतियों का जन्मदिन मनाया जाता है। बचपन से ही समाजसेवा और आर्थिक प्रगति में उनकी गहरी रुचि रही है। उन्होंने अपने जीवन के ६० वर्ष पूरे कर लिए हैं और इस सफर में न सिर्फ वित्तीय क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया, बल्कि ग्रामीण विकास और सामाजिक सुधार के कई महत्वपूर्ण कार्य भी किए हैं।
भरतकुमार सोलंकी का मानना है कि किसी भी समाज की प्रगति आर्थिक सशक्तिकरण से ही हो सकती है। अपने लेखों और शोध के माध्यम से उन्होंने निवेश, वित्तीय प्रबंधन और छोटे व्यापारियों की आर्थिक समस्याओं पर प्रकाश डाला है। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे निवेशकों को सही दिशा दिखाने का कार्य किया, ताकि वे भी आर्थिक प्रगति की दौड़ में पीछे न रहें। उनकी दूरदर्शिता और सामाजिक योगदान ने न केवल उन्हें एक सफल वित्त विशेषज्ञ के रूप में स्थापित किया है, बल्कि उन्हें समाज के सच्चे सिपाही के रूप में भी पहचान दिलाई है।
पिताजी से मिली सीख और अपने जीवन के अनुभवों के बल पर भरतकुमार सोलंकी ने हमेशा समाज के हर वर्ग के आर्थिक उत्थान पर ध्यान दिया है। चाहे वह छोटे व्यापारी हों या ग्रामीण क्षेत्र के किसान, भरतकुमार सोलंकी ने हर किसी की मदद करने का प्रयास किया है। समाज में उनकी यह सेवा भावना उन्हें एक सच्चे नेता और समाज के सिपाही के रूप में स्थापित करती है।
भरतकुमार सोलंकी का जीवन और उनके कार्य आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। समाजसेवा के साथ-साथ आर्थिक सशक्तिकरण को जोड़ने की उनकी सोच न केवल उन्हें एक विशिष्ट व्यक्तित्व बनाती है, बल्कि समाज के लिए एक नई दिशा भी प्रदान करती है।