जीतेंद्र दीक्षित
अभिनेता से राजनेता बने गोविंदा खबरों में थे जब उन्होने गलती से अपने ही पैर में गोली मार ली थी। उन्हें कुछ वक्त अस्पताल में बिताना पड़ा। सवाल उठा कि आखिर गोविंदा अपने पास लाइसेंसी रिवाल्वर क्यों रखते हैं। रिवाल्वर तो वही रखता है, जिसे किसी प्रकार का डर हो। जरूर गोविंदा को किसी से डर है, इसलिए पुलिस ने उन्हें रिवाल्वर रखने का लाइसेंस दिया है। गोविंदा के डर से मुझे लगभग दो दशक पुराना एक किस्सा याद आया, जब गोविंदा लोकसभा के सांसद हुआ करते थे। कांग्रेस ने उन्हें उत्तर-मुंबई सीट से टिकट दिया था। इस सीट से गोविंदा को टिकट इसलिए मिला, क्योंकि वे फिल्मों में आने से पहले विरार में रहते थे। २००९ में हुए परिसीमन से पहले विरार उत्तर-मुंबई लोकसभा सीट में ही आता था। गोविंदा ने पांच बार सांसद रहे बीजेपी के राम नाईक को हराकर यह सीट जीती थी।
गोविंदा २००४ में सांसद तो चुन लिए गए लेकिन कई लोग शिकायत करते थे कि वे जनता के बीच नहीं जाते, उनसे घुलते-मिलते नहीं। मुझे लगता है कि इसके पीछे कोई डर था, जिसकी वजह से वे लोगों से मिलने से कतराते थे। उस दौर में गोविंदा अपनी सुरक्षा को लेकर किस कदर चिंतित थे, उसे दर्शाता एक वाकया मुझे याद है। साल २००६ में खबर आई कि गोविंदा को छोटा शकील ने धमकी दी है। शकील ने गोविंदा को क्यों धमकाया, इसका कारण पता नहीं चला। इस धमकी के पहले मीडिया चैनलों में एक टेप सुनाया जा रहा था जिसमें फिल्मस्टार संजय दत्त छोटा शकील से गोविंदा की शिकायत करते नजर आ रहे थे। दरअसल, दत्त और गोविंदा एक ही फिल्म में काम कर रहे थे। दत्त, गोविंदा की लेट लतीफी से परेशान थे। सेट पर तय किए गए वक्त से वे काफी देर से पहुंचते। छोटा शकील ने दत्त को भरोसा दिलाया था कि गोविंदा आगे से वक्त पर आया करेगा। इस बात की कोई पृष्टि नहीं है कि क्या गोविंदा को शकील की धमकी के पीछे संजय दत्त की ओर से की गई शिकायत थी। वैसे संजय दत्त ने उस वक्त इनकार किया था कि शकील से उनकी कोई बातचीत हुई। इस बातचीत के टेप को मुंबई पुलिस ने एक अन्य मामले में बतौर सबूत पेश किया था।
बहरहाल, २००६ में एक दिन किसी विषय पर इंटरव्यू करने के लिए मैंने गोविंदा को फोन किया। गोविंदा ने दोपहर करीब तीन बजे जूहू स्थित अपने घर पर बुलाया। उनकी इमारत के रिसेप्शन पर जब मैं पहुंचा तो कहा गया कि गोविंदा घर से बाहर निकल कर इंटरव्यू देंगे। मैं इमारत के कंपाउंड में ही उनका इंतजार करने लगा। करीब पौने घंटे बाद गोविंदा प्रकट हुए। कपड़ों पर भारी सुगंध वाली परफ्यूम उन्होंने डाली हुई थी और आंखों पर डिजाइनर चश्मा पहना था। ऐसा लग रहा था कि वे नहा-धोकर घर से बाहर निकले हैं।
कंपाउंड में इमारत के मुख्यद्वार के पास एक कोने में ही मैंने वैâमरा लगाया और इंटरव्यू करना शुरू किया। मैंने पहला सवाल पूछा और गोविंदा ने उसका जवाब देना शुरू किया। कुछ सेकंड में ही उन्होंने इंटरव्यू बीच में रोक दिया।
‘जीतेंद्र जी, इधर थोड़ा सेफ नहीं लग रहा है। दूसरी तरफ चल कर करते हैं।’
इसके बाद कंपाउंड के एक दूसरे कोने में वे ले गए। वहां इंटरव्यू फिर शुरू हुआ। पहले सवाल का जवाब पूरा होने पर जैसे ही मैंने दूसरा सवाल पूछा, गोविंदा ने फिर इंटरव्यू रोक दिया।
‘मुझे लगता है कि ये जगह भी ठीक नहीं,’ गोविंदा ने खौफजदा नजरों से कहा।
इसके बाद वे मुझे इमारत के पीछे के हिस्से की ओर ले गए जिसके बगल से एक संकरी गली होकर गुजरती थी।
वहां मैंने फिर से पूरा इंटरव्यू शुरू किया। गोविंदा ने मेरे तीन चार सवालों के जवाब दिए, लेकिन जवाब देते वक्त उनकी नजरें अगल-बगल घूम रहीं थी। इस बीच कुछ राहगीर सड़क से गुजरते हुए गोविंदा को देखकर रुक गए। वे खुश थे कि राह चलते उन्हें गोविंदा जैसा फिल्मस्टार सामने दिख गया। कुछ ही मिनटों में वहां आठ-दस लोगों की भीड़ लग गई। इस भीड़ को देख कर इंटरव्यू दे रहे गोविंदा विचलित हो उठे। इंटरव्यू फिर रोक दिया।
‘जीतेंद्र जी। ये लोग मुझे सही नही लग रहे। यहां से निकल लेते हैं।’
‘गोविंदा जी, ये तो आम पब्लिक है। मुझे कोई खतरा नहीं लगता,’ मैंैने कहा।
गोविंदा फिर भी नहीं माने और कहीं और चलकर इंटरव्यू लेने को कहने लगे।
अब मेरा इंटरव्यू करने का मूड खत्म हो गया था। मुझे जिन अहम सवालों के जवाब चाहिए थे वो गोविंदा ने अब तक के इंटरव्यू में दे दिए थे। अब और लंबा इंटरव्यू करने के चक्कर में वक्त बर्बाद करना ठीक नहीं लगा। मैं उन्हें धन्यवाद कह कर निकल गया।
वैसे जो गोविंदा छोटा शकील से धमकी मिलने पर डरे हुए थे, उनकी दाऊद इब्राहिम की पार्टी की तस्वीरें कई साल पहले चर्चित हुई थीं। गोविंदा का कहना था कि वे कई लोगों की पार्टी में डांस का शो करने जाते हैं इसका मतलब ये नहीं कि उनके उस शख्स के साथ रिश्ते हैं। दाऊद के साथ जोड़कर उनका नाम फिर एक बार तब चर्चित हुआ जब उत्तर-मुंबई के सांसद राम नाईक ने अपनी आत्मकथा में आरोप लगाया कि गोविंदा ने दाऊद इब्राहिम की ताकत का इस्तेमाल करके उन्हें चुनाव में हराया था। गोविंदा ने इस आरोप का खंडन किया और कहा कि उन्हें क्षेत्र की जनता ने जिताया था।
(लेखक एनडीटीवी के सलाहकार संपादक हैं।)