धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
महाराष्ट्र की खस्ताहाल हो चुकी स्वास्थ्य सेवा को लेकर आए दिन सरकार पर सवाल उठते रहते हैं। यहां के मेडिकल कॉलेज पहले से ही बदहाल अवस्था में हैं, उसे सुधारने के लिए ‘ईडी’ सरकार की तरफ से कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं, ऊपर से अब केंद्र से महाराष्ट्र में आठ नए मेडिकल कॉलेजों को शुरू करने की मंजूरी मिल गई है। सवाल उठता है कि जब पुराने मेडिकल कॉलेज पहले से ही कई खामियों से जूझ रहे हैं तो नए मेडिकल कॉलेजों के लिए सरकार संसाधन कहां से लाएगी? इसका मतलब है कि अन्य सेक्टर की तरह अब हेल्थ सेक्टर में भी ‘ईडी’ सरकार की जुमलाबाजी शुरू हो गई है।
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में कुल २५ सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेज में २२,८३३ सीटें हैं। इन मेडिकल कॉलेजों में मेडिकल की पढ़ाई करनेवाले छात्रों में एडमिशन के लिए होड़ मची रहती है। एडमिशन प्रक्रिया शुरू होने के बाद कई छात्र प्रवेश से वंचित हो जाते हैं। इस स्थिति में उन्हें दूसरे राज्यों और विदेशों में जाकर मेडिकल की पढ़ाई के लिए मजबूर होना पड़ता है। इसे देखते हुए राज्य में भले ही मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ाना जरूरी था। लेकिन पहले से ही चल रहे सरकारी मेडिकल कॉलेजों में जरूरी संसाधनों की कमी है। इसके साथ ही प्राध्यापकों के भी बड़ी संख्या में पद खाली पड़े हुए हैं।
पहले किया गया था नामंजूर
नेशनल मेडिकल कमीशन ने कुछ महीने पहले खामियों के चलते आठ मेडिकल कॉलेजों को नामंजूर कर दिया था। इससे घाती सरकार की जमकर किरकिरी हुई थी। इससे बचने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय से जवाब मांगा था। हालांकि, केंद्र में एनडीए की सरकार है, जबकि राज्य में भी उनकी ही सरकार है। ऐसे में कहा जा रहा है कि इस मामले में दबाव बनाया गया और स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देश पर एनएमसी ने भी मंजूरी दे दी है।
यहां खुलेंगे मेडिकल कॉलेज
प्रदेश में ८ नए मेडिकल कॉलेजों की अनुमति मिल गई है। ये मेडिकल कॉलेज गढ़चिरौली, अमरावती, वाशिम, जालना, बुलढाना, अंबरनाथ, भंडारा और हिंगोली में सरकारी मेडिकल कॉलेजों को अनुमति मिल गई है। इन आठ कॉलेजों में कुल ८०० छात्रों को एमबीबीएस पाठ्यक्रम के लिए प्रवेश मिलेगा।