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संपादकीय : मोदी के ‘गांधी’ विचार

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि गांधीजी के नाम पर वोट लेनेवाले उनके विचारों को भूल गए हैं। ये उनका मजाक है। जब से मोदी और उनकी पार्टी सत्ता में आई है, हर दिन गांधी विचारों की हत्या की जा रही है। गांधी ने कभी धार्मिक नफरत पैदा कर राजनीति करने की नहीं सोची, लेकिन हिंदू-मुसलमानों के बीच तनाव पैदा कर राजनीति में ‘रोटी’ सेंकने का काम मोदी कर रहे हैं। अहम बात यह है कि मोदी हमेशा झूठ बोलते हैं और उनका आचरण भी झूठा है। उन्हें सत्य पर रत्ती भर का विश्वास नहीं है। इसके उलट महात्मा गांधी को सत्य पर पूर्ण विश्वास था। सत्य के प्रति अपनी अटूट निष्ठा के चलते उन्होंने दुष्टता और अहंकार जैसे विकारों को मात दी। गांधी कहते थे, ‘नीति इस संसार का आधार है। सत्य में नीति निहित है।’ वे शाम की प्रार्थना सभा में कहा करते थे कि सदैव सत्य का दामन थामे रहो। सत्य पर विश्वास करो, सत्य के मार्ग पर चलो, सत्य बोलते रहो’, वे ऐसा आग्रह करते थे। मोदी को सत्य की यह गांधी भूमिका हजम नहीं होती। मोदी के काल में सत्य, न्याय, नीति आदि की अवधारणाएं टूटी हैं। मोदी का अहंकार इतना है कि उन्होंने खुद ही घोषणा कर दी कि वे भगवान के अवतार हैं। मोदी विश्वगुरु भी हैं और ये सब उन्होंने ही तय किया है। यह अहंकार है। गांधी में कोई अहंकार नहीं था। एक अमेरिकी पत्रकार को इंटरव्यू देते हुए उन्होंने कहा, ‘दुनिया को सिखाने के लिए मेरे पास कुछ भी नया नहीं है। सत्य और अहिंसा का मूल्य तो अविचल पर्वतों जितने प्राचीन हैं।’ गांधी दोहरे चरित्र वाले नहीं थे, वे निडर थे। क्योंकि वे सिर्फ सत्य कहते थे। गांधी का मतलब सत्य है। वे इतने सत्यमय हो गए थे कि उन्होंने दुनिया भर में अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए कमजोरों के हाथों में जो हथियार दिया, उसका नाम ही ‘सत्याग्रह’ है। मोदी और उनके लोग आंदोलन और सत्याग्रह को कुचलते हैं। किसान आंदोलन में ६७० किसानों की मौत हो गई। काले कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन दो साल तक चला। ये काले कानून उद्योगपति अडानी के फायदे के लिए लाए गए थे। उन कानूनों का विरोध करनेवाले किसानों को चोर, उग्रवादी करार दिया गया। उन्हें देशद्रोही के तौर संबोधित किया गया। अगर आजादी की लड़ाई में किसानों ने अपना खून न बहाया होता तो मोदी कभी देश के प्रधानमंत्री नहीं बन पाते। २०१४ से पहले सत्ता में आने के लिए मोदी ने किसानों से झूठे वादे किए। वो सारे वादे झूठे ही निकले। मोदी के गुजरात में किसानों ने बारडोली सत्याग्रह किया था। उस सत्याग्रह का नेतृत्व सरदार पटेल ने किया था। उन्हें गांधीजी का आशीर्वाद प्राप्त था और किसान ब्रिटिश सरकार होने के बावजूद सत्याग्रह कर सके थे। क्या मोदी राज में ये संभव है? मोदी और उनकी पार्टी ने सत्य से दूरी बना ली है। इसलिए उन्हें गांधी और उनके विचारों पर प्रवचन झाड़ने का कोई अधिकार नहीं है। मोदी के समर्थक देश में खुलेआम नाथूराम गोडसे की पूजा करते हैं और गोडसे के जन्मदिन पर गांधी के पुतलों पर गोली चलाते हैं। ये सत्य और नीति की हत्या है और यही मोदी की विचारधारा है। यदि मोदी को यह सब स्वीकार नहीं होता तो ये सारे बदमाश भी सींखचों के पीछे बंद होते। गांधी की मूर्ति की अपेक्षा मोदी ने गुजरात में सरदार पटेल की ऊंची मूर्ति बनवाई। स्वदेश में भाजपा और मोदी गांधी का सम्मान नहीं करते। लेकिन जब वे विदेश जाते हैं तो उन्हें कई देशों में गांधी प्रतिमाओं के सामने झुकना पड़ता है और यह दिखावा करना पड़ता है कि वे गांधी को मानते हैं। मोदी ने देश में सत्य की हत्या कर असत्य का राज ला दिया। उन्होंने सभी भ्रष्ट और झूठे लोगों को एकत्रित किया और यही उनकी ताकत हैं, उन्होंने न्यायालय से भी सत्य को खत्म कर दिया है। संविधान और संवैधानिक संस्थाओं में सत्य को नष्ट कर दिया गया है। महाराष्ट्र जैसे राज्य में मोदी और शाह ने असत्य का राज्य चला रखा है। इसलिए सवाल यह है कि उन्हें गांधी के किस विचार की चिंता लगी हुई है? सत्य ही गांधी की राजनीति और विचार की नींव थी। पिछले दस वर्षों में यह बुनियाद ही ढह गई है। महर्षि धोंडो केशव कर्वे अपनी संस्था के लिए मदद जुटाने के लिए अमदाबाद गए। वह विशेष रूप से महात्माजी से मिलने उनके आश्रम गए। गांधीजी ने उनका स्वागत किया। गांधी ने कहा, ‘मैंने अपने गुरु, पुणे के गोपाल कृष्ण गोखले से पूछा था कि आपके प्रांत में सत्यनिष्ठ इंसान कौन हैं? जिस पर गोखले का कहना था, ‘गांधी, मैं अपना नाम नहीं ले सकता। क्योंकि मैं राजनीति में हूं, लेकिन मैं दो बहुत सत्यनिष्ठ लोगों को जानता हूं। पहले प्रो. धोंडो केशव उर्फ ​​अन्नासाहेब कर्वे और दूसरे शंकरराव लावटे।’ यह जानकारी देते हुए गांधीजी ने आश्रमवासियों से कहा, ‘आज सत्यनिष्ठ कर्वे आए हैं। यह एक शुभ दिन है। सत्यनिष्ठ लोग हमारे लिए तीर्थस्वरूप हैं।’ मोदीजी, यह है गांधी विचार। क्या आप इस विचार से सहमत हैं? आपके शासन में हर दिन गांधी विचार की हत्या हो रही है, यही सत्य है!

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