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अजीत पवार गुट को बीजेपी का प्रस्ताव नामंजूर, शिंदे-दादा गुट के लिए अलग-अलग मापदंड क्यों?

सामना संवाददाता / मुंबई
भाजपा द्वारा शिंदे और दादा गुट के लिए अलग-अलग मापदंड अपनाने को लेकर अजीत पवार गुट में नाराजगी व्याप्त है। दादा गुट की ओर से बीजेपी से पूछा जा रहा है कि जब शिंदे गुट से हमारे पास विधायकों की संख्या लगभग बराबर है, तो सीटों के बंटवारे में दोनों के बीच भेदभाव क्यों किया जा रहा है। विधानसभा में सीटों के बंटवारे को लेकर महायुति में अजीत पवार गुट की बेचैनी बढ़ गई है।
बीजेपी ने शिंदे गुट को ८५ से ८८ सीटें देने की तैयारी दिखाई है। अजीत पवार गुट को ४२ से ४५ सीटें प्रस्तावित की गई हैं। बीजेपी ने सीटों के बंटवारे के लिए मापदंड यह तय किया है कि पिछली बार कितने विधायक चुने गए थे, न कि अब कितने उनके साथ हैं। लेकिन ये कसौटी सिर्फ हमारे लिए क्यों है, शिंदे गुट के लिए क्यों नहीं? वे ८५ से ८८ सीटें देने को वैâसे तैयार हैं, अजीत दादा गुट के नेता ऐसा सवाल बीजेपी से पूछ रहे हैं। शिंदे गुट को ८८ और अजीत पवार गुट को ४२ सीटें देकर बीजेपी १५८ सीटें अपने पास रखना चाह रही है, लेकिन अजीत पवार गुट को यह प्रस्ताव मंजूर नहीं है। इसीलिए महायुति में सीट आवंटन की घोषणा नहीं की गई। बीजेपी ने १६० सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी की है और अगर सहयोगियों का दबाव बढ़ा, तो ३-४ सीटें छोड़ेगी, लेकिन राज्य बीजेपी कार्यकर्ताओं का कहना है कि १५५ से कम सीटें नहीं मिलनी चाहिए। इससे सबसे ज्यादा असर अजीत पवार के गुट पर पड़ेगा।
२०१९ के विधानसभा चुनाव में एनसीपी ने ५४ सीटें जीती थीं। दादा के साथ कांग्रेस और निर्दलीय मिलाकर पांच विधायक हैं। इसके साथ ही वे छह से सात सीटें और दिलाने की मांग कर रहे हैं। बीजेपी नेता एनसीपी को मिली ५४ सीटें एकमुश्त देने के खिलाफ हैं। ५४ में से ३८ से ३९ विधायक अजीत पवार के साथ हैं, इसलिए बीजेपी नेता शरद पवार के साथ वाले विधायकों के निर्वाचन क्षेत्र अजीत पवार को देने के खिलाफ हैं। बीजेपी का दावा है कि जिन विधानसभा क्षेत्रों में शरद पवार के विधायक हैं, वहां हमारे पास सक्षम उम्मीदवार हैं।

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