सामना संवाददाता / मुंबई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल मेट्रो ३ का उद्घाटन किया, जिसके तहत आरे कॉलोनी से बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) तक की आंशिक सेवा शुरू की जाएगी। नागरिकों के लिए इस सेवा का उपयोग ७ अक्टूबर से किया जा सकेगा। लेकिन इसे लेकर नागरिकों में उत्साह से अधिक नाराजगी देखने को मिली। लोगों का कहना है कि आखिर इतनी भी क्या जल्दी थी उद्घाटन करने की, अभी तो कई सारे काम बाकी हैं। जबकि कुछ लोगों ने यह भी कहा कि विधानसभा चुनाव को देखते हुए पीएम ने जल्दबाजी में यह उद्घाटन कर दिया है। वे वोटों की राजनीति कर रहे हैं। मुंबई मेट्रो की लाइन ३ (एक्वा लाइन) कोलाबा-बांद्रा-सीप्ज के बीच चलेगी। इसे अभी केवल आंशिक रूप से शुरू किया जा रहा है। इससे जनता को पूरी तरह से लाभ नहीं मिल पाएगा, जब तक सभी रूट पूरी तरह से ऑपरेशनल नहीं हो जाते।
गरीबों की जेब पर डाका
नागरिकों के अनुसार, इस सेवा का आंशिक रूप से शुरू होना दैनिक यात्रियों के लिए उपयोगी नहीं है। गोरेगांव से छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) या चर्चगेट तक लोकल ट्रेन से यात्रा करनेवाले यात्री २० किलोमीटर का सफर कम लागत में तय कर लेते हैं। जबकि मेट्रो ३ का किराया काफी अधिक होने की संभावना है, जो आम नागरिकों के बजट पर भारी पड़ सकता है।
एक दिन पहले मिला सर्टिफिकेट
उद्घाटन से पहले इस परियोजना को नागरिक उड्डयन सुरक्षा (सीएमआरएस) प्रमाणपत्र एक दिन पहले ही मिला, जिससे यह सवाल उठता है कि उद्घाटन की तारीख पहले से तय थी और प्रमाण पत्र भी इसी योजना के तहत जल्दबाजी में प्राप्त किया गया। आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर इस उद्घाटन को लेकर संदेह जताया जा रहा है कि कहीं यह महज वोट बैंक के लिए राजनीति का हिस्सा तो नहीं है। आंशिक सेवा की शुरुआत से सरकार ने सिर्फ राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश की है। मेट्रो-३ के इस अधूरे उद्घाटन ने जनता के बीच कई सवाल खड़े किए हैं कि क्या यह सेवा वास्तव में नागरिकों के हित में है या फिर केवल चुनावी फायदे के लिए की गई एक पहल है।