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भगवा पर लगा गद्दारी का दाग धो डालो!..उद्धव ठाकरे का कल्याण-डोंबिवली के शिवसैनिकों से आह्वान

-शिंदे गुट के दीपेश म्हात्रे ने की घर वापसी

सामना संवाददाता / मुंबई

गद्दारों ने सत्ता के लालच में हमारी अच्छी-खासी चलती सरकार को गिरा दिया। उन्होंने शिवसेना को खत्म करने का प्रयास किया है। उन्हें हम कभी वापस नहीं लेंगे, लेकिन आप जैसे कई कार्यकर्ता गुमराह होकर वहां गए थे, उनका स्वागत है।

ठाणे, कल्याण-डोंबिवली शिवसेना, हिंदुत्व और शिवराय के भगवा का गढ़ है। यहां भगवा पर गद्दारी का दाग लगा है, इस दाग को अब धो डालो। शिवसैनिकों से ऐसा आह्वान करते हुए शिवसेनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि मशाल हाथ में लेकर भगवा को चमकाओ। उद्धव ठाकरे ने कल ‘मातोश्री’ में शिंदे गुट छोड़कर घर वापसी करनेवाले कल्याण-डोंबिवली मनपा के पूर्व स्थायी समिति अध्यक्ष दीपेश म्हात्रे और उनके समर्थकों को संबोधित करते हुए यह आह्वान किया।
शिंदे गुट के युवा प्रकोष्ठ के सचिव दीपेश म्हात्रे अपने सहयोगियों के साथ कल शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्ष में शामिल हुए। इस मौके पर उद्धव ठाकरे ने इन सभी का शिवबंधन बांधकर पार्टी में स्वागत किया। इस अवसर पर उद्धव ठाकरे ने कहा कि गद्दारों ने सत्ता के लालच में हमारी अच्छी-खासी चलती सरकार को गिरा दी। शिवसेना को खत्म करने का प्रयास किया है। उन्हें हम कभी वापस नहीं लेंगे, लेकिन आप जैसे कई कार्यकर्ता गुमराह होकर वहां गए थे, उनका स्वागत है। यही लोग तो शिवसेना की मूल शक्ति हैं। बालासाहेब के कई कार्यकर्ताओं को वहां जबरन, बहला-फुसलाकर ले जाया गया, लेकिन आंख खुलने पर वे वापस आना चाहते हैं, उनका स्वागत है। लेकिन जो सत्ता के लालच और पदों का आनंद लेने के लिए उनके साथ गए हैं, ऐसे गद्दारों और निकम्मे लोगों को वापस नहीं लेंगे। इस दौरान युवासेना प्रमुख, शिवसेना नेता व विधायक आदित्य ठाकरे, शिवसेना नेता विनायक राऊत, सचिव वरुण सरदेसाई, उप नेता व कल्याण संपर्कप्रमुख गुरुनाथ खोत, पूर्व विधायक सुभाष भोईर और अन्य पदाधिकारी और कल्याण-डोंबिवली के शिवसैनिक उपस्थित थे। इस दौरान उद्धव ठाकरे ने कहा कि कई लोगों को यह भ्रम हो गया कि मैंने बालासाहेब के विचारों को छोड़ दिया है, शिवसेना हिंदुत्व से दूर चली गई है, लेकिन हम बालासाहेब के विचारों से कभी नहीं हटे हैं और न ही हटेंगे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आपकी भी आंखों पर पट्टी बंधी थी और अब अच्छा हुआ कि सबकी आंखें खुल गईं। आप जिसके साथ गए थे, वह हिंदुत्व, वह शिवसेना असली नहीं है और वो विचार भी बालासाहेब के नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हमें खुशी है कि तुम वापस आ गए। अगर फैसला थोड़ा पहले लिया होता तो ये गुंडागर्दी और जुलुमशाही लोकसभा में ही दफन हो गई होती। सत्ता, पैसा और झुंडशाही जैसी तमाम चीजें एक तरफ होने के बावजूद भी शिवसेना-प्रेमी मतदाताओं ने अपने प्रत्याशी को ४ लाख वोट दिए। देश के प्रधानमंत्री भी शिवसेना के साधारण कार्यकर्ता को हराने के लिए आने लगे थे। फिर भी कल्याण-डोेंबिवली के लोगों ने भगवा को लगभग ४ लाख वोट दिए। उन मतदाताओं पर गर्व है।

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