-फंड नहीं होने से ईडी सरकार का निर्णय
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
विधानसभा चुनाव में जनता खासकर महिलाओं को अपने पक्ष में करने के लिए ‘लाडली बहन’ समेत कई योजनाएं शुरू कर दी गई हैं। हालांकि, पहले से ही लाखों करोड़ रुपयों के कर्ज में डूबी सरकार ने मनमाने तरीके से कामकाज करते हुए कई अन्य योजनाओं के फंड को लाडली बहन की ओर मोड़ दिया है। इससे सरकारी खजाना खाली हो चुका है। इसके शिकार राज्य के ३३ मेडिकल कॉलेज भी हो रहे हैं। अब इन कॉलेज में ठेके पर कर्मचारी भर्ती किए जाएंगे, ताकि सरकार का खर्च घटे।
बता दें कि इसके लिए तीन कंपनियों से कर्मचारियों की भर्ती कराई जाएगी। सरकार का दावा है कि इससे ३० फीसदी की बचत होगी। महाराष्ट्र में चिकित्सा शिक्षा व आयुष निदेशालय के तहत ३३ सरकारी मेडिकल, डेंटल, आयुर्वेद, होम्योपैथी कॉलेजों और अस्पतालों में ग्रुप सी और ग्रुप डी के रिक्त पद बाहरी स्रोतों से भरे जाएंगे। ३३ कॉलेजों में क्लास ३ और ४ खाली पदों को अनुबंध के आधार पर भरे जाएंगे। ‘घाती’ सरकार का कहना है कि नियमित रूप से पदों को भरने के बाद होने वाली लागत की तुलना में आउटसोर्सिंग सेवाओं से लागत में कम से कम २० से ३० प्रतिशत की बचत होगी। इससे युवाओं का सरकारी मेडिकल, डेंटल, आयुर्वेद, होम्योपैथी कॉलेजों के साथ-साथ अस्पतालों में ग्रुप सी और ग्रुप डी पदों पर सरकारी नौकरी का सपना धूमिल हो गया है। इसके साथ ही अब उन्हें ठेके पर मिलनेवाली नौकरियों से ही संतुष्ट होना पड़ेगा। चिकित्सा शिक्षा व आयुष संचालनालय के आयुक्त ने पदों को आउटसोर्स करने के लिए २६ सितंबर २०२४ को पत्र जारी किया था। इसमें प्रस्तावित निविदा के अंत में पात्र निविदाकर्ता मे. स्मार्ट सर्विसेज प्रा. लिमिटेड द्वारा सेवा प्रदाता द्वारा प्रस्तुत न्यूनतम सेवा शुल्क दर करीब १९.५ प्रतिशत के अनुसार आदेश विभाजन करके देने और उसके लिए होने वाले वार्षिक लागत १९३ करोड़ ६० लाख ३९ हजार ९८ रुपए के खर्च को ४ अक्टूबर २०२४ को प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की गई।