मुख्यपृष्ठसंपादकीयक्या मोदी होश में हैं?

क्या मोदी होश में हैं?

प्रधानमंत्री मोदी के भाषण कौन लिख रहा है? इसकी जांच करने का समय आ गया है। एक तो मोदी के भाषण झूठ और दिखावे से भरे होते हैं और कई दफा तो क्या प्रधानमंत्री भूलने की बीमारी से पीड़ित हैं? उनके भाषणों को सुनकर या पढ़कर ऐसा संदेह होता है। यदि प्रधानमंत्री अपने भाषणों का संग्रह प्रकाशित करते हैं तो संग्रह का शीर्षक कुछ इस तरह रखना होगा, ‘मैं इसमें नहीं हूं।’ प्रधानमंत्री दो दिनों तक महाराष्ट्र में थे। उन्होंने कई भाषण दिए, लेकिन उनके भाषण में कोई तालमेल नहीं था। अकोला की एक सभा में उन्होंने कहा कि कांग्रेस नशे के पैसे से चुनाव लड़ रही है। दिल्ली में हजारों करोड़ की ड्रग्स पकड़ी गई। उस मामले में मुख्य आरोपी एक कांग्रेस नेता है। युवाओं को लत लगाकर उससे आने वाले पैसों से कांग्रेस चुनाव लड़ना चाहती है। प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान गंभीर है और इस मामले की गहराई से जांच होनी चाहिए। यह सुनकर अच्छा लगा कि प्रधानमंत्री देश में युवाओं की नशे की लत को लेकर चिंतित हैं, लेकिन युवा निराश होकर नशे की लत में क्यों पड़ रहा है? प्रधानमंत्री को इसका भी जवाब देना चाहिए। युवाओं के हाथ में कोई काम नहीं है। स्नातकों के लिए कोई नौकरी नहीं। प्रधानमंत्री खुद कहते हैं कि ग्रेजुएट्स को सड़कों पर पकौड़े तलने चाहिए। उन्हें नौकरी देने के बजाय धर्मांध अफीम का नशा देकर सिरफिरा बना दिया जाता है और ये बच्चे नशे के आदी हो जाते हैं और अपना जीवन बर्बाद करते हैं। ये सब काफी हद तक मोदी काल में हुआ है। मोदी ने दिल्ली में जब्त किए गए नशीले पदार्थों का संबंध कांग्रेस से जोड़ा, लेकिन मोदी-शाह के गुजरात के मुंद्रा पोर्ट पर पिछले पांच वर्षों में आठ से दस दफा ३ लाख करोड़ रुपए के नशीले पदार्थ जब्त किए गए हैं। ये स्टॉक अफगानिस्तान जैसे देशों से आया था। जो मोदी-शाह के निगहबानी वाला राज्य है, जिस बंदरगाह पर केंद्र की सुरक्षा व्यवस्था है। वहां बार-बार लाखों-करोड़ों के नशीले पदार्थ उतारे जाते हैं। ये कैसे होता है? इस मुंद्रा बंदरगाह का मालिक कोई दूसरा-तीसरा नहीं, बल्कि मोदी-शाह के लाडले गौतमभाई अडानी हैं। तीन लाख करोड़ के नशीले पदार्थ पकड़े गए। इसका मतलब यह है कि यह आंखों में धूल झोंकना है और इससे पहले ही सौ-लाख करोड़ रुपए के नशीले पदार्थ उतरकर पूरे देश में फैल गए। क्या अब ऐसा कहें कि भाजपा इन पैसों से चुनाव लड़ रही है? नियम और कानून सबके लिए समान हैं। गुजरात नशीले पदार्थों के सेवन और व्यापार का सबसे बड़ा ‘हब’ बन गया है और वहां मोदी-शाह का फौलादी राज है। ललित पाटील केस महाराष्ट्र में चर्चित हुआ। ‘शिंदे -फडणवीस’ कैबिनेट के मंत्रियों का सीधे तौर पर इस ललित पाटील से संबंध है। इन मंत्रियों ने ललित पाटील को ससून अस्पताल से भागने में मदद की। महाराष्ट्र की मोदी संचालित सरकार ‘ड्रग्स’ के पैसों से लबालब है और मोदी-शाह इस सरकार के सुरक्षा कवच बन गए हैं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी दूसरों को ब्रह्मज्ञान पढ़ा रहे हैं। मोदी कल पोहरादेवी में थे। उस मंच पर शिंदे सरकार के एक मंत्री संजय राठौड़ मोदी के पैरों के पास बैठे थे। पूजा चव्हाण नामक एक युवती ने इन सज्जन पर हत्या, छेड़छाड़ और जबरदस्ती का आरोप लगाया और एक दिन उसने आत्महत्या कर ली। यह हत्या थी या आत्महत्या, यह रहस्य है। उस समय देवेंद्र फडणवीस आदि लोगों ने इस राठौड़ को फांसी पर लटकाने की बात कही थी। तब यह भी आरोप लगा था कि राठौड़ का उस युवती के पास आना-जाना था। उस महिला के घर से नशे की कई सामग्रियां मिलीं और कल वही सज्जन मंत्री के तौर पर मोदी के चरणों में बैठ गए। इसे दिखावा नहीं तो क्या कहें? मोदी सरकार ने हरियाणा चुनाव में प्रचार में मदद के लिए महात्मा राम रहीम को जेल से विशेष छुट्टी दी। राम रहीम पर हत्या, रेप और धमकी देने का आरोप है। उसके आश्रमों पर छापेमारी हुई, बड़े पैमाने पर नशे का सामान बरामद हुआ, लेकिन इस महात्मा को अब तक ‘भाजपा’ की मेहरबानी से बड़ी ‘छुट्टी’ दे दी गई। महात्मा राम रहीम ने हरियाणा चुनाव में भाजपा को वोट देने की अपील की। उस पर मोदी का क्या कहना है? मोदी को न तो अतीत याद रहता है और न ही भविष्य दिखता है। वह झारखंड जाकर लाडली बहन योजना की आलोचना करते थे और महाराष्ट्र में उसी राजनीतिक योजना की प्रशंसा करते थे। प्रधानमंत्री पद पर बैठे व्यक्ति को इस तरह का आचरण और बातचीत करना शोभा नहीं देता। जो लोग मोदी के लिए भाषण लिखते हैं उन्हें इस नियम का पालन करना चाहिए। अंधभक्तों का ताली बजाने में क्या जाता है? लेकिन प्रधानमंत्री की हंसी होती है। ड्रग्स पर मोदी के बयान हास्यास्पद हो गए हैं। मोदी ने कहा था कि नोटबंदी के बाद ड्रग स्मगलिंग रुकेगी। इसके उलट स्मगलिंग बढ़ गई है। जिसने भी मोदी को नोटबंदी का फैसला लेने को कहा, वह या तो गांजे या चिलम के नशे में रहा होगा, अन्यथा युवाओं को नशे के जाल में धकेलने वाला फैसला नहीं लिया जाता। मोदी का व्यवहार, वाणी और उनके भाषण इन दिनों उपहास का विषय बने हुए हैं। महाराष्ट्र दौरे के दौरान के उनके भाषणों के साथ भी यही हुआ। इसलिए सवाल उठा खड़ा होता है क्या मोदी होश में हैं?

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