गजल : तमन्ना

 

जो फूल दिए तूने रखे हैं किताबों में
रहती है तभी खुशबू कमरे की हवाओं में

बारिश की तमन्ना में, धरती है जैसे प्यासी
बेचैनी है वैसी ही बेचारे किसानो में

है सोच सभी की ये, आएँ न अँधेरे पल
ख़ामोश सी आमद है खुशियों की उजालों में

भूली है नहीं दुनिया, लैला को, न मजनूं को
है जिक्र अभी उनका, चाहत के फ़सानों में

ज़ज्बात “कनक “ख़त में अब तो न लिखे जाते
है उनकी नहीं कीमत मेसेज के जवाबों में

डॉ कनक लता तिवारी

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