यह पूजन है हमारे संस्कारों का,
बेटी के पैरों में खुशियाँ है संसार की
वह कन्या रूपी देवी हमारी शक्ति है,
आओ इन छोटी-छोटी कन्याओं का पूजन करें हम।
हम जब राह भटक जाते हैं तो,
ममता रुपी माँ बन हमें राह दिखाती है
जब मझधार में हम घिर जाते हैं तो पत्नी धर्म वह निभाती है,
वह बेटियाँ ही है जो माँ-बाप का फ़र्ज़ निभाती है
आओ इन छोटी-छोटी कन्याओं का पूजन करें हम।
दो परिवारों की बागडोर निभाने वाली,
वह बेटियाँ कन्या रूप में तभी तो पूजी जाती है।
इन बेटियों का विश्वास बनें हम,
आओ इन छोटी-छोटी कन्याओं का पूजन करें हम॥
हरिहर सिंह चौहान
जबरी बाग़ नसिया इन्दौर