मुख्यपृष्ठनमस्ते सामनामाँ न हो तो जग अधूरा

माँ न हो तो जग अधूरा

 

माँ न हो तो जग अधूरा
पास हो तो सब कुछ पूरा
आँखों में खुशी बनकर,
छा जाती है माँ..

बचपन का सहारा
हर पल सुनहरा
भाती हैं माँ..

कुछ भी हो,
हर परिस्थिति में
निस्वार्थ भाव
हमारी जिंदगी में
रहती हैं..

शाम को घर लौटू
परिंदें आँखों में भरूँ
पूछती हैं माँ ये देर क्यूँ..
लौट आता जल्द यूँ..

माँ न हो तो,
घुटन -सी जिन्दगी
हो जाता है गम..
न हो तो..
वो बचपन की लोरियाँ
उँगलियाँ पकड़कर,
स्कूल तक भेजना,
बाल संवारना,
पीठ पर बस्ता लादना
वो पल सब सूना – सूना
लगता है

माँ न हो तो…

मनोज कुमार
गोण्डा उत्तर प्रदेश

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