विवेक अग्रवाल
हिंदुस्थान की आर्थिक राजधानी, सपनों की नगरी और ग्लैमर की दुनिया यानी मुंबई। इन सबके इतर मुंबई का एक स्याह रूप और भी है, अपराध जगत का। इस जरायम दुनिया की दिलचस्प और रोंगटे खड़े कर देनेवाली जानकारियों को अपने अंदाज में पेश किया है जानेमाने क्राइम रिपोर्टर विवेक अग्रवाल ने। पढ़िए, मुंबई अंडरवर्ल्ड के किस्से हर रोज।
देश के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री को कोई पत्र लिखे तो कितने लंबे पते की जरूरत है।
राष्ट्रपति महोदय, दिल्ली या फिर प्रधानमंत्री महोदय, दिल्ली…
बस इतना ही लिखना काफी होगा।
बिल्कुल सही कहा आपने, लेकिन क्या किसी आम आदमी के साथ भी ये संभव है?
आप कहेंगे, बिल्कुल नहीं।
लेकिन क्या ये संभव है कि किसी का पता लिखा हो चिट्ठी पर-‘बत्ती के नीचे, जेल के पीछे, बंबई’– और खत आए अफगानिस्तान के काबुल इलाके से, तो भी क्या सही आदमी के हाथों पहुंचेगा? आपका जवाब ‘न’ में ही होगा।
बस, यहीं आप गलत हैं। यह पूरा पता कुछ इस तरह था– ‘करीम लाला, बत्ती के नीचे, जेल के पीछे, बंबई।’ और मजेदार बात है कि खत सचमुच करीम लाला को मिल गया।
करीम लाला की बैठक डोंगरी के बाल सुधार गृह, जिसे लोग ‘बच्चा जेल’ नाम से भी पहचानते हैं, की दीवार के पास लगी तीन चारपाईयों पर होती थी। वहां बिजली का खंभा था, जिस पर सड़क रोशन करने की बत्ती लगी थी। किसी जमाने में काबुल का एक पठान वहां करीम से मिला था। उसे बस इतना पता याद था, वही लिख दिया। वह तो करीम लाला का ‘नाम’ ही ऐसा था कि अधूरे पते पर भी चिट्ठी सही जगह पहुंची।
ये दास्तान सुनाकर करीम लाला के बंदे ने बड़े फख से कहा:
–बड़े बाबा का नाम पूरा इंडिया में फेमस।
(बीपी की जुबानी)
(लेखक ३ दशकों से अधिक अपराध, रक्षा, कानून व खोजी पत्रकारिता में हैं, और अभी फिल्म्स, टीवी शो, डॉक्यूमेंट्री और वेब सीरीज के लिए रचनात्मक लेखन कर रहे हैं। इन्हें महाराष्ट्र हिंदी साहित्य अकादमी के जैनेंद्र कुमार पुरस्कार’ से भी नवाजा गया है।)