सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई में पानी सप्लाई करने वाली पाइपलाइन में हो रही लीकेज की मरम्मत के लिए १३३ करोड़ रुपए का टेंडर निकला था। इस टेंडर में कंपनियों और मनपा के अधिकारियों के बीच मिलीभगत से धांधली होने का अंदेशा पूर्व नगरसेवकों ने जताया है। टेंडर प्रक्रिया में कुछ कंपनियां और अधिकारियों से मिलीभगत कर मनपा को चूना लगाने की बात कही जा रही है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो पानी के लीकेज को रोकने के लिए जो टेंडर लाया गया, अब उसी में से टेंडर मनी का लीकेज हो रहा है। एक ठेकेदार ने तो टेंडर में राशि की जगह शून्य रकम भरी है। ऐसे में सवाल है कि क्या ठेकेदार मुफ्त में पाइपलाइन की मरम्मत करेगा?
मिली जानकारी के अनुसार, मनपा के ‘एल’ और ‘एन’ विभाग में सबसे कम बोली लगाने और दूसरे स्थान पर रहे निविदाकारों की बोली में मिलीभगत का अंदेशा जताया जा रहा है। जैसे कि ‘एल’ विभाग में सबसे कम बोली लगाने वाली एक कंपनी है, जिसने ६.३० प्रतिशत बोली लगाई है, जबकि इसी निविदा में दूसरी कंपनी ने ३.६० प्रतिशत और तीसरी ने शून्य प्रतिशत की बोली लगाई है। इस विभाग में तीन निविदाकारों ने भाग लिया था। वहीं ‘एन’ विभाग में पांच निविदाकारों ने निविदा आवेदन खरीदा था, जिनमें से तीन ने निविदा भरा है। इसमें सबसे कम बोली एक कंपनी ने लगाई। मनपा के पूर्व नगरसेवक रवि राजा ने कहा कि इसमें दोनों कंपनियों के बीच साठगांठ होने का संदेह स्पष्ट होता है। उन्होंने कहा कि शून्य प्रतिशत पर काम करने वाला ठेकेदार क्या लीकेज खत्म करेगा?
गड़बड़ी की हो जांच
उन्होंने कहा कि सवाल यह है कि दो से तीन वार्डों में एक कंपनी ने शून्य प्रतिशत पर टेंडर भरा है। इस निविदा में निविदाकारों द्वारा साठगांठ कर ठेका प्राप्त करने का संकेत मिलने से पूर्व उपनगरों के कार्यों की हर स्तर पर जांच की जाए और यदि साठगांठ सिद्ध होती है तो निविदा रद्द की जाए। जांच पूरी होने तक इन कार्यों को मंजूरी और कार्यादेश जारी न किए जाएं।