-यूपी, एमपी राजस्थान अव्वल रोजाना मिल रहे १५० से अधिक मामले
-एनसीआरबी की रिपोर्ट में हो चुका है खुलासा
-२०१८ से २०२२ में बढ़े ३५ फीसदी मामले
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
देश चांद पर पहुंच चुका है, लेकिन अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों पर दबंगों के जुल्म की कहानियां खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। कोई राज्य इससे अछूता नहीं है, चाहे वहां पर किसी की भी सरकार हो। लेकिन एनसीआरबी के आंकड़ों की मानें तो पिछले ६ सालों में जब से केंद्र में मोदी की सरकार आई है दलितों पर अत्याचार के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिली है। २०१८ से २०२२ के दौरान इन मामलों में ३५ फीसदी इजाफा देखने को मिला है। इसमें भी उन राज्यों में भी जहां-जहां भाजपा की सरकार है उन राज्यों में जिसमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश,राजस्थान राज्य प्रमुख है। एक रिपोर्ट की मानें तो हिंदुस्थान में हर रोज तकरीबन १५० से अधिक मामले सामने आते हैं।
बता दें कि भारतीय जनता पार्टी शासित राज्यों में दलितों के खिलाफ अपराध के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों में दलितों के खिलाफ अधिक क्राइम वाले राज्यों में भारतीय जनता पार्टी शासित राज्य शामिल हैं। आंकड़ों में जो टॉप ५ क्राइम वाले राज्य हैं उनमें या तो बीजेपी की सरकार है या फिर उनके सहयोगियों की। अगर क्राइम रेट के हिसाब से देखें तो लिस्ट में पहला नंबर उत्तर प्रदेश का है। यूपी के बाद दूसरा नंबर राजस्थान का आता है, जहां अपराध में १२.६ फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इसके बाद तीसरे नंबर पर मध्य प्रदेश और चौथे नंबर पर बिहार आता है, जहां बीजेपी के समर्थन से नीतीश कुमार की सरकार चल रही है।
मोदी सरकार ने स्वीकारा, देश में दलितों पर अत्याचार के मामले बढ़े
देश में अनुसूचित जाति के लोगों पर अत्याचार के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। इस बात को अब केंद्र सरकार ने भी स्वीकारा है। दलितों पर अत्याचार के मामलों में उत्तर प्रदेश नंबर वन तो राजस्थान नंबर दो पर है। वहीं मध्य प्रदेश देश में तीसरे पायदान पर खड़ा है। बीते वर्ष सांसद पीपी चौधरी को अतारांकित प्रश्न के लिखित जवाब में गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा ने २०१८ से २०२१ तक देश के अलग-अलग राज्यों में अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों पर हुए अत्याचार के मामलों पर लिखित जवाब में यह बात स्वीकारी है। गृह राज्यमंत्री ने लिखित जवाब में कहा कि पिछले ४ साल के दौरान अनुसूचित जाति के लोगों पर अत्याचार के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इस दौरान उत्तर प्रदेश में एससी के लोगों पर अत्याचार के सर्वाधिक १३,१४६ मामले दर्ज हुए। लोकसभा में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के हवाले से उन्होंने बताया, राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में साल २०१८ में अनुसूचित जाति के लोगों पर अत्याचार के ४२ हजार ७९३ मामले दर्ज हुए थे।