सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई का सार्वजनिक परिवहन नेटवर्क एक बड़े विस्तार के दौर से गुजर रहा है और इसका नवीनतम जुड़ाव है शहर की पहली भूमिगत मेट्रो ३ (एक्वा लाइन)। हालांकि, यह चौथी मेट्रो कॉरिडोर मुंबई में लाखों यात्रियों की यात्रा को बेहतर बनाने के उद्देश्य से बनाई गई है, लेकिन इससे जुड़े कई गंभीर मुद्दे सामने आए हैं जिनका समाधान जरूरी है।
मुंबई का मेट्रो नेटवर्क तेजी से विस्तार कर रहा है, लेकिन इसके साथ ही यात्रियों को किराए की असमानता और एप्स की अव्यवस्था से जूझना पड़ रहा है। अलग-अलग मेट्रो लाइनों के लिए अलग-अलग एप्स का इस्तेमाल यात्रियों के लिए और भी ज्यादा असुविधाजनक है। डिजिटल युग में भी, मुंबई के मेट्रो यात्रियों को एक एकीकृत ऐप की कमी खल रही है, जिससे उनकी यात्रा को सरल और सुविधाजनक बनाया जा सके। यदि इन मुद्दों का समाधान नहीं किया गया, तो मुंबई मेट्रो का उद्देश्य सफल नहीं हो पाएगा।
यात्रियों को महंगी साबित हो रही मेट्रो-३ के व्यावसायिक संचालन की शुरुआत के साथ ही किराए की असमानता चर्चा का विषय बन गई है। मेट्रो-३ में बीकेसी से आरे-जोगेश्वरी-विक्रोली लिंक रोड तक की यात्रा के लिए यात्रियों को ३.९४ रुपए प्रति किलोमीटर का भुगतान करना पड़ता है, जो इसे महंगा साबित करता है। एक अन्य प्रमुख समस्या है अलग-अलग मेट्रो लाइनों के लिए अलग-अलग एप्स की आवश्यकता। मेट्रो-३ के लिए ‘मैट्रो कनेक्ट ३’ नामक एक नया एप लॉन्च किया गया है, जबकि मेट्रो २ए और ७ के लिए ‘मेट्रो’ एप पहले से मौजूद है। सबसे पुरानी मेट्रो लाइन १ का कोई एप नहीं है, हालांकि इसमें स्मार्ट कार्ड और डिजिटल भुगतान की सुविधा है। इस असंगतता से यात्रियों को यात्रा के दौरान एप्स के बीच स्विच करने की असुविधा का सामना करना पड़ता है, जो डिजिटल युग में काफी हैरान करने वाला है।