उमेश गुप्ता / वाराणसी
विश्व प्रसिद्ध और काशी के लक्खा मेलों में सुमार श्री चित्रकूट रामलीला समिति के भरत मिलाप रामलीला संपन्न हुई। रविवार की शाम अस्ताचलगामी सूर्य की पीली रोशनी में जब भरत मिलाप का मंचन शुरू हुआ तो पूरा मैदान प्रभु श्री राम के जयगारे से गूंज उठा। रावण दहन के ठीक दूसरे दिन नाटी इमली मैदान में विश्व प्रसिद्ध भरत मिलाप लीला का मंचन किया गया। ऐतिहासिक भरत मिलाप को देखने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ दोपहर 12 बजे से ही मैदान में उमड़ पड़ी थी। प्रभु श्री रामचंद्र लंका में रावण का वध कर मां सीता, भाई लक्ष्मण और हनुमान के साथ पुष्पक विमान पर सवार होकर भरत मिलाप मैदान नाटी इमली पहुंचते हैं, जहां पर अयोध्या में भरत और शत्रुघ्न मौजूद रहते हैं।
हनुमान प्रभु श्रीराम को जाकर बताते हैं कि उनके दोनों अनुज भ्राता उनसे मिलने के लिए व्याकुल हैं। चारों भाइयों का जैसे सामना होता है वैसे ही भरत और शत्रुघ्न भूमी पर लेट जाते हैं। प्रभु श्री रामचंद्र और लक्ष्मण दौड़ कर उनके पास जाते हैं और उन्हें उठा कर अपने सीने से लगा लेते हैं। इस अवसर पर नेमियों ने रामचरितमानस की चौपाइयां पढ़नी शुरू की तो सूर्य की पीली रोशनी भी भारत मिलाप मैदान में बने चबूतरे की ओर अपना प्रकाश बिखरने लगी। तीन मिनट की लीला देख श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। प्रभु श्री रामचंद्र समेत चारों भाइयों के जयकारे और हर-हर महादेव की गगनभेदी जयकारों से पूरा माहौल भक्ति में हो गया।
इस अद्भुत रामलीला को देखने के लिए काशी नरेश कुंवर अनंतनारायणन सिंह भी उपस्थित भी उपस्थित हुए और अपने पुरखों के परंपराओं का निर्वहन किया।काशी नरेश को जिला प्रशासन के द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। इस दौरान डमरू दल ने डमरू वादन से काशी नरेश का लीला मैदान में स्वागत किया। कुंवर अनंत नारायण सिंह शाही सवारी (हाथी) पर बैठ कर लीला मैदान का चक्कर लगाया और लोगों का अभिवादन किया।
श्री चित्रकूट रामलीला समिति के अध्यक्ष और भरत मिलाप आयोजन के व्यवस्थापक बाल मुकुंद उपाध्याय ने बताया कि मेघा भगत के स्वप्न में भगवान श्रीराम आकर दर्शन दिए थे और यहां भरत मिलाप कराने का निर्देश दिया। मान्यता है कि नाटी इमली के भरत मिलाप में स्वएं भगवान श्रीराम उपस्थित होते हैं।
चारो भाईयों के बाद हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी यादव बंधुओ ने पुष्पक विमान रूपी भगवान श्री रामचंद्र का रथ अपने कंधे पर उठाकर रामलीला मैदान तक पहुंचा। इस दौरान यादव बंधु अपने पारंपरिक वेशभूषा गमछा, गंजी और सर पर साफा बांधे हुए थे।
काशी के लक्खा मेलों में से एक भारत मिलाप में होने वाली भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन भारी पुलिस बल के साथ सुबह से ही नाटी इमली मैदान के चारों ओर बैरिगेटिंग कर मुस्तैद थी। मेला में एक समय अत्यधिक भीड़ के चलते भगदड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई थी, जिसको नियंत्रण करने के लिए पुलिस को हल्का बल प्रयोग भी करना पड़ा।