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मोदी सरकार के राज में बीमार भी हुए बेजार! … टीबी, अस्थमा समेत कई रोगों की दवाएं महंगी

– खाद्य महंगाई पहले से छू रही आसमान
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
खुद को गरीबों का मसीहा कहनेवाली केंद्र सरकार ने जुल्मी पैâसला लिया है। आम जनता पहले से ही खाद्य महंगाई का बोझ ढो रही है उस पर महंगी दवाइयों ने लोगों को और भी अधिक परेशानी में डाल दिया है। बताया गया है कि दवाओं को तैयार करने में इस्तेमाल होनेवाली सामग्रियों की कीमतें बढ़ने का कारण बताते हुए केंद्र सरकार ने इशारा दे दिया है कि अस्थमा, ग्लूकोमा, थैलेसीमिया, ट्यूबरकुलोसिस और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के इलाज में जरूरी कई दवाओं की कीमतें बढ़ सकती हैं। दरअसल, सरकार ने इनकी सीलिंग प्राइस में ५० फीसदी बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है।
उल्लेखनीय है कि कंपनियों ने कुछ फॉर्मूलेशनों को उनकी व्यवहार्यता के कारण बंद करने का भी आवेदन किया है। बयान में बताया गया कि ८ अक्टूबर को हुए विस्तृत विचार-विमर्श के बाद व्यापक सार्वजनिक हित में डीपीसीओ-२०१३ के पैरा १९ के तहत मिली विशिष्ट शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए एनपीपीए ने आठ दवाओं के ११ फॉर्मूलेशन की अधिकतम कीमतों में उनकी मौजूदा सीलिंग प्राइस में ५०फीसदी बढ़ोतरी को मंजूरी दी है। केंद्र सरकार ने एक बयान में कहा कि राष्ट्रीय दवा मूल्य निर्धारण प्राधिकरण को दवा सामग्रियों की बढ़ती लागत, बढ़ती उत्पादन लागत, विनिमय दरों में बदलाव का हवाला देते हुए कीमतों में वृद्धि के लिए निर्माताओं से आवेदन प्राप्त हो रहे हैं।

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