केंद्र व चुनाव आयोग से मांगा जवाब
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
चुनावों में राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त वादों को रिश्वत घोषित करने की मांग वाली याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। कोर्ट ने केंद्र और चुनाव आयोग को फटकार लगाते हुए इस संबंध में नोटिस जारी किया है। याचिका में अनुरोध किया गया है कि चुनाव आयोग को ऐसे मुफ्त वादों पर रोक लगाने के लिए तत्काल कदम उठाने के निर्देश दिए जाएं। याचिका में कहा गया है कि चुनावों के दौरान राजनीतिक दल अक्सर मुफ्त सुविधाएं देने का वादा करते हैं, जो भविष्य में वित्तीय बोझ का कारण बनते हैं।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया। इसके साथ ही इस याचिका को लंबित मामलों के साथ भी टैग किया गया, जिससे इसकी गंभीरता को समझा जा सके। इस कदम से यह संकेत मिलता है कि अदालत इस मामले को गंभीरता से ले रही है और चुनावों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए उचित कदम उठाने की आवश्यकता को महसूस कर रही है। गौरतलब है कि कर्नाटक के निवासी शशांक जे श्रीधर द्वारा दायर जनहित याचिका में यह कहा गया है कि मुफ्त के अनियमित वादे सरकारी खजाने पर अत्यधिक वित्तीय बोझ डालते हैं। याचिका में चुनाव आयोग से यह अनुरोध किया गया है कि वह चुनाव पूर्व अवधि के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा किए जाने वाले मुफ्त वादों को रोकने के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाए। याचिकाकर्ता का तर्क है कि इन वादों के कारण न केवल सरकारी खजाने पर दबाव बढ़ता है, बल्कि यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पारदर्शिता को भी कमजोर करता है।