-आवेदनों को कर दिया रद्द
-हाई कोर्ट में कबूलनामा
सामना संवाददाता / मुंबई
विधानसभा चुनाव की पृष्ठभूमि में ‘लाडली बहन योजना’ का ढिंढोरा पीटनेवाली ‘घाती’ सरकार ने प्रत्यक्ष तौर पर अनेक लाडली बहनों के साथ घात किया है। योजना का लाभ मिलने की आस लगाए बैठी ९० हजार से अधिक बहनों के आवेदनों को अस्वीकार कर दिया गया है। इसका कबूलनामा खुद ‘घाती’ सरकार ने हाई कोर्ट में दिए अपने हलफनामे में दिया है। इसके साथ ही लाडली बहन योजना के लिए ऑफलाइन दिए गए आवेदन को भी स्वीकारने में इस सरकार ने असमर्थता दर्शाई है। लाडली बहनों के साथ ‘ईडी’ सरकार के इस घात के कारण महिलाओं में काफी नाराजगी है। ऐसे में राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, आगामी विधानसभा चुनाव में ‘लाडली बहन’ योजना का मामला बैक फायर भी कर सकता है।
‘लाडली बहन’ योजना के ‘नारी शक्ति दूत’ ऐप के फेल हो जाने से राज्य भर में कई महिलाएं इस योजना के लाभ से वंचित हो गई हैं। ऐसे में इन महिलाओं में तीव्र नाराजगी है। अब चुनाव में इसका उल्टा असर होगा और ‘ईडी’ सरकार को इनका कोप झेलना पड़ेगा। ऐप के फेल होने से महिलाओं के आवेदन ऑफलाइन स्वीकार किए जाने की मांग करते हुए प्रमेय वेलफेयर फाउंडेशन के एड. रूमाना बगदादी के जरिए एक जनहित याचिका दायर की गई है। इस याचिका पर मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सरकार को हलफनामा के माध्यम से स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया था। इसके मुताबिक, महिला व बाल विकास विभाग के उप सचिव आनंद भोंडवे ने शपथ पत्र पेश किया है। इसमें सरकार ने महिलाओं के ऑफलाइन आवेदन स्वीकार करने में असमर्थता जताई है। सरकार ने यह दावा करके अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है कि किसी भी तरफ से एक भी शिकायत नहीं आई है कि दस्तावेज ऑनलाइन अपलोड करने में कोई समस्या हो रही है। सरकार ने उन महिला आवेदकों की सूची जारी करने से इनकार कर दिया है, जिनके बैंक खाते आधार कार्ड से ‘लिंक’ हैं। सरकार ने एक हलफनामे में कहा कि संबंधित महिलाओं की सूची प्रकाशित करना संभव नहीं है। महिलाओं की परेशानियों को उजागर करने वाली जनहित याचिका में उठाए गए मुद्दों पर सरकार ने ठोस जवाब नहीं दिया है इसलिए सबकी नजर १७ अक्टूबर को अगली सुनवाई में याचिका पर कोर्ट के रुख पर टिकी है।