सामना संवाददाता / मुंबई
विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले राज्य की ईडी सरकार ने मुंबई के टोल नाकों समाप्त करने की घोषणा की थी। वहीं दूसरी ओर सरकार ने ठाणे-बोरीवली की जुड़वां सुरंग परियोजना पर टोल वसूली की अनुमति देकर आम जनता पर एक और वित्तीय बोझ डालने की तैयारी कर ली है। यानी टोल कहीं पर बंद और कहीं पर चालू रहेगा।
सोमवार को शहरी विकास विभाग द्वारा लिया गया यह निर्णय मुंबई महानगरीय क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) को सुरंग परियोजना की लागत वसूली के लिए टोल लगाने की मंजूरी दे दी है। सुरंग संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान के नीचे से गुजरेगी और इसका निर्माण कार्य २०२८ के मध्य तक पूरा होने का अनुमान है। इस परियोजना की कुल लागत रुपए १८,८३८.४० करोड़ है, जिसमें से रुपए १५,०७१ करोड़ वित्तीय संस्थानों से ऋण के रूप में जुटाए जाएंगे। बाकी राशि एमएमआरडीए की आंतरिक जमा राशि से आएगी। हालांकि, इस महत्वाकांक्षी परियोजना का पूरा खर्च अंतत: आम जनता की जेब से वसूल किया जाएगा, क्योंकि लाइट मोटर वाहनों के लिए प्रस्तावित टोल शुल्क रुपए २०० तक हो सकता है।
सरकार ने इस परियोजना को `महत्वपूर्ण शहरी परिवहन परियोजना’ के रूप में वर्गीकृत किया है, जिसका उद्देश्य ठाणे और बोरीवली के बीच यात्रा के समय को वर्तमान ९०-१२० मिनट से घटाकर केवल १५ मिनट करना है। लेकिन आलोचकों का कहना है कि यात्रा में समय का बचत की कीमत आम लोगों को भारी टोल देकर चुकानी पड़ेगी। प्रस्तावित ११.८५ किलोमीटर लंबाई में से, सुरंग की लंबाई १०.२५ किलोमीटर होगी, जबकि बाकी १.६० किलोमीटर एप्रोच सड़कें होंगी। हालांकि, कई लोगों का मानना है कि इस टोल से पहले से ही टोल चुकाने वाली जनता पर और बोझ पड़ेगा, जो पहले से ही मुंबई और उसके आस-पास के क्षेत्रों में विभिन्न परियोजनाओं के लिए टोल का भुगतान कर रही है।
सरकार की इस नीति पर सवाल उठाते हुए कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि बुनियादी ढांचे के विकास का सारा बोझ आम जनता पर डालना अनुचित है। पहले से महंगी हो चुकी यात्रा में यह टोल एक और आर्थिक दबाव पैदा करेगी और यात्री अपनी रोजमर्रा की आवाजाही में इस अतिरिक्त लागत से बोझ पड़ेगा।