मुख्यपृष्ठनए समाचारअस्पतालों के लिए ईडी सरकार के पास पैसा नहीं! ...'दान' के पैसों...

अस्पतालों के लिए ईडी सरकार के पास पैसा नहीं! …’दान’ के पैसों पर चल रहा है केईएम का कामकाज

सामना संवाददाता / मुंबई
शिंदे-भाजपा सरकार के कार्यकाल में मुंबई के सभी सरकारी और मनपा अस्पतालों की स्थिति बहुत ही दयनीय हो गई है। इसी कड़ी में मनपा का केईएम कराह रहा है। आलम यह है कि दान में मिले धन से केईएम अस्पताल को संजीवनी देने की कोशिश की जा रही है। इस फंड के इस्तेमाल से अस्पताल प्रशासन ने होल्टर मॉनिटरिंग सिस्टम खरीदकर उसे शुरू कर दिया है। इसकी मदद से एपिलेप्सी में अप्रत्याशित मौतों से जुड़े जोखिम कारकों को आसानी से पहचाना जा सकेगा।
उल्लेखनीय है कि मनपा के पांच प्रमुख अस्पतालों में से एक केईएम की ओपीडी में हजारों की संख्या में मरीज इलाज कराने आते हैं, जबकि सैकड़ों भर्ती होते हैं। हालांकि, यह अस्पताल हमेशा से स्वास्थ्य असुविधाओं के कारण चर्चा में रहा है। कभी एमआरआई, सीटी और सोनोग्राफी के लिए महीनों तक मरीजों को वेटिंग पर रखने तो कभी दवाइयों, इंजेक्शनों की कमी और अस्पताल में गंदगी के लिए सुर्खियों में रहा है। इसके साथ ही अस्पताल में चूहे, बिल्लियों और कुत्तों से परेशानी होती रहती है। सबसे दयनीय स्थिति जनरल वॉर्डों की है, जिसके अंदर घुसते ही लोगों को मजबूरन अपनी नाक को बंद करने के लिए बाध्य होना पड़ता है। कई बार एक बेड पर ही दो-दो मरीजों का इलाज करने के मामले भी सामने आते रहते हैं। इन दिक्कतों से जूझ रहे इस अस्पताल की स्थिति को सुधारने की बजाय मनपा प्रशासन पूरी तरह से अनदेखी कर रहा है। आलम यह है कि अस्पताल प्रशासन को कई जरूरी मशीनों को खरीदने के लिए दान में मिले फंड का सहारा लेना पड़ रहा है। इसी तरह से होल्टर मॉनिटरिंग सिस्टम को खरीदने के लिए दान में मिले ७२ लाख रुपए का इस्तेमाल किया गया है। यह मशीन अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग द्वारा संचालित की जाएगी। अस्पताल प्रशासन की ओर से कहा गया है कि इस दान से अस्पताल को अत्याधुनिक इकोकार्डियोग्राफी प्रयोगशाला स्थापित करने में मदद मिली है। इसके साथ ही अस्पताल अब यहां एपिलेप्सी रोगियों के लिए अपनी तरह का पहला अंतर्राष्ट्रीय शोध अध्ययन शुरू करने जा रहा है।
कम कर देगा ओपीडी में
दिल के रोगियों की प्रतीक्षा
केईएम अस्पताल में कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. अजय महाजन ने कहा कि एपिलेप्सी में अचानक अप्रत्याशित मौत का खतरा बहुत बड़ा है, जिससे रोकथाम रणनीतियों के बारे में तत्काल चर्चा की आवश्यकता है। इन सबके बीच चिकित्सकों में आशाजनक तरीके से होल्टर मॉनिटरिंग लोकप्रिय हो रहा है। उन्होंने कहा कि दान से खरीदे गए उपकरण अस्पताल के ओपीडी में हृदय रोगियों के लिए प्रतीक्षा समय को भी काफी कम कर देंगे।

 

अन्य समाचार