सामना संवाददाता / मुंबई
विधानसभा चुनावों की घोषणा के बाद से राजनीतिक गतिविधियों में तेजी आ गई है। सभी प्रमुख पार्टियों ने अपने-अपने उम्मीदवारों के नाम लगभग तय कर लिए हैं। भाजपा ने भी अपने उम्मीदवारों का नाम लगभग तय कर लिया है, लेकिन इस बार राज्य के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस अर्थात देवाभाऊ को भाजपा के शीर्ष नेताओं ने दरकिनार किया है। सूत्रों की मानें, तो देवेंद्र फडणवीस के करीबी नेताओं के पत्ते काटे जा रहे हैं। भाजपा ने फडणवीस के ज्यादा करीबी रहे कुछ मौजूदा विधायकों को टिकट न देने का पैâसला किया है, जिसमें मुंबई के घाटकोपर से विधायक और पार्टी प्रवक्ता राम कदम, घाटकोपर से विधायक पराग शाह और फडणवीस के पहले पीए फिर एमएलए बने अभिमन्यु पवार प्रमुख है। मुंबई से ५ से ६ विधायकों का नाम शामिल है।
पराग से लवेकर तक का सफाया तय
घाटकोपर (पश्चिम) से राम कदम पिछले तीन कार्यकालों से विधायक हैं। २००९ में उन्होंने मनसे के टिकट पर पहली बार विधानसभा में प्रवेश किया था। २०१४ में राजनीतिक स्थिति का आकलन कर उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया और २०१९ के चुनावों में वे आसानी से जीत गए। कदम ने अपने क्षेत्र में ‘डैशिंग और दयालु विधायक’ की छवि बनाई है, लेकिन उनकी वास्तविक कामकाज की क्षमता को लेकर पार्टी में असंतोष है और उनकी कार्यप्रणाली को लेकर पार्टी का मत नकारात्मक हो गया है, जिसके चलते आगामी चुनावों में उन्हें टिकट मिलने की संभावना कम मानी जा रही है। दूसरे नंबर पर पराग शाह हैं। पराग शाह बिल्डर हैं, वे पूर्व मंत्री प्रकाश मेहता को झटका देकर घाटकोपर (पूर्व) सीट से एमएलए बनें। बताया जाता है कि फडणवीस के बेहद करीब पराग शाह ने कई गड़बड़ियां की हैं, जिसे देखते हुए उन्हें इस बार टिकट से वंचित होना पड़ सकता है। वर्सोवा की विधायक भारती लवेकर, बोरिवली के सुनील राणे के कार्यों और स्वभाव से लोगों में नाराजगी है। ऐसा कहा जाता है कि सुनील ने फडणवीस के कहने पर आशीष शेलार का कई मामलों में विरोध किया है। उधर सायन के विधायक वैâप्टन तमिल सेल्वन के लिए भी रिपोर्ट नेगेटिव है। वैâप्टन में अपने क्षेत्र के मुस्लिम मतदाताओं को जमकर लाभ पहुंचाया हैं, जबकि आरएसएस के लोगों के सुझाव पर काम नहीं किया गया है, जिसे लेकर उनके खिलाफ नकारात्मक रिपोर्ट हैं।