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काशी के गंगा घाटों पर बांस के पोरों पर शहीदों की याद में जले आकाशदीप

उमेश गुप्ता/वाराणसी

आश्विन पूर्णिमा से कार्तिक पूर्णिमा तक जलने वाले आकाशदीप गुरुवार को आसमान में झिलमिल कर उठे। एक तरफ शरद पूर्णिमा की चांदनी चटख हो रही थी तो दूसरी ओर प्राचीन दशाश्वमेध घाट पर शहीदों की याद में बांस के पोरों पर आकाशदीप जगमगाने लगे। शहीदों की राह रोशन करने के लिए काशी के नभमंडल में गुरुवार की शाम बांस की टोकरियों में आकाशदीप जलाए गए।

गंगातट से आकाशदीप जब कतार में गगन में जल उठे तो दिव्य नजारे ने सबको श्रद्धा से अभिभूत कर दिया। बांस की डलियों में टिमटिमाते दीप चंद्रहार की मानिंद झिलमिला उठे। गंगोत्री सेवा समिति की ओर से आकाशदीप लोगों की सुरक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले पुलिस एवं पीएसी के 11 शहीदों की स्मृति में जलाए गए।

इसके पूर्व गंगा की मध्यधारा में दीपदान भी किया गया। प्राचीन दशाश्वमेध घाट पर पुलिस और पीएसी के शहीद जवानों का नमन करते हुए आकाशदीप जलाने की शुरुआत पांच वैदिक आचार्यों ने मां गंगा के षोडशोचार पूजन से की। इसके बाद 101 दीपों को गंगा में प्रवाहित किया गया।

विशिष्ट अतिथि प्रो. अजीत कुमार शुक्ला रहे। पीएसी बैंड की धुन के साथ अतिथियों ने शहीदों की याद में आकाशदीप जलाए। समिति के अध्यक्ष पं. किशोरी रमण दुबे ने बताया कि शहीदों की आत्माओं का मार्ग आलोकित करने के लिए गंगा के तट पर आकाशदीप रोशन किए जाते हैं। इस दौरान पं. कन्हैया त्रिपाठी, दिनेश शंकर दुबे, गंगेश्वरधर दुबे, अथर्वराज पांडेय, शांतिलाल जैन, कन्हैया दुबे (केडी), संकठा प्रसाद, रामबोध सिंह मौजूद रहे। संचालन राजेश शुक्ला ने किया।

गंगा के तट पर शहीद शिवराज सिंह, मनीष यादव, योगेंद्र सिंह, ओमवीर सिंह, आकाश तोमर, संजय कुमार, रवि कुमार, नरेश नेहरा, विरेन्द्र कुमार दूबे, प्रकाश कुमार, अजय कुमार त्रिपाठी के नाम से आकाशदीप जलाए गए।

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