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जहां मजदूरों को नहीं चाहिए था घर, वहीं उन्हें बसने की बनी योजना …घाती सरकार के घात से भड़के मजदूर

२० अक्टूबर को रैली निकालकर करेंगे विरोध
सामना संवाददाता / मुंबई
मिल मजदूरों और उनके उत्तराधिकारियों को मुंबई में घर उपलब्ध कराना संभव नहीं है, इसलिए राज्य सरकार ने उन्हें मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) में घर उपलब्ध कराने का फैसला किया है। जिसके बाद मुंबई महानगर क्षेत्र में मिल मजदूर और उनके उत्तराधिकारियों के लिए ८१,००० घर बनाने के लिए राज्य सरकार ने निर्णय लिया है, लेकिन मिल मजदूरों और संगठनों द्वारा इस परियोजना का विरोध किया जा रहा है। इनका कहना है कि जिन स्थानों पर ये घर बनाए जाने हैं, वे यूनियनों, मिल मजदूरों को पसंद नहीं थे, इसके बाद भी वहां घर क्यों बनाए जा रहे हैं? मिल मजदुर संघ का आरोप है कि राज्य सरकार मिल श्रमिकों को धोखा दे रही है।
गौरतलब है कि मिल की भूमि पर आवास योजना के लिए श्रमिकों के दो लाख से अधिक आवेदन म्हाडा के मुंबई बोर्ड को जमा किए गए हैं। लेकिन इनमें से सिर्फ २५ हजार मजदूरों को ही म्हाडा के जरिए मुंबई में घर दिया जा सका है, बाकी मिल मजदूरों के लिए मुंबई में कोई जगह उपलब्ध नहीं है। इसलिए डेढ़ लाख मिल मजदूरों को मुंबई के बाहर घर देने का फैसला किया गया है। राज्य सरकार और इन कंपनियों के बीच हुए समझौते के मुताबिक, ८१ हजार मकान बनाए जाने हैं। इन घरों की बिक्री कीमत १५ लाख रुपए निश्चित की गई है, लेकिन श्रमिकों को सिर्फ ९ लाख ५० हजार रुपए ही देने होंगे और बाकी ५ लाख ५० हजार रुपए राज्य सरकार देगी। ‘मिल मजदूर संघर्ष समिति’ समेत तमाम श्रमिक संगठनों द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है। इस संबंध में राज्य सरकार को पत्र भी दिया गया। ‘मिल श्रमिक संघर्ष समिति’ के सचिव प्रवीण येरुकर ने बताया कि हम इस परियोजना के खिलाफ हैं। इस पैâसले के विरोध में सभी श्रमिक संगठनों ने रविवार २० अक्टूबर को एक रैली का आयोजन करने का निर्णय लिया है।

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