नौकरीपेशा गरीब मध्यमवर्गियों की बढ़ी परेशानी
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई की बेस्ट बसों में अचानक भीड़ बढ़ गई है, जिससे यात्री परेशान हो गए हैं। पता चला है कि अनुबंध के खत्म होने से २५० बसें सड़कों से गायब हो गई हैं। समय रहते इन बसों के अनुबंध का नवीनीकरण नहीं किया गया।
बता दें कि गत गुरुवार से यात्रियों को बेस्ट बसों से यात्रा करने में भारी असुविधा का सामना करना पड़ा। २५० बसों के अचानक सड़कों से गायब हो जाने से बेस्ट बसों की प्रतीक्षा समय कई स्टॉपों पर ३० से ४५ मिनट तक बढ़ गया। यात्री संगठन बेस्ट से जल्द से जल्द नई बसों की खरीद या अस्थायी व्यवस्था करने की मांग कर रहे हैं। मिडी बसों की कमी के कारण बस सेवाओं की आवृत्ति पर गंभीर प्रभाव पड़ा है।
एक वरिष्ठ बेस्ट अधिकारी ने भी अपनी तकलीफ साझा करते हुए बताया कि उन्हें अपने कार्यालय कोलाबा स्थित बेस्ट मुख्यालय पहुंचने के लिए ३० मिनट तक बस का इंतजार करना पड़ा। उन्होंने बताया कि ९ फीसदी बेड़े में कमी का मुख्य कारण २८० मिडी बसों को सड़कों से हटाने का ठेकेदार का निर्णय है। ठेकेदार ने ११२ करोड़ रुपए के घाटे का हवाला देते हुए बसें हटाने का पैâसला लिया। हालांकि, बेस्ट अधिकारियों और ठेकेदार के बीच कई बैठकों के बावजूद यह गतिरोध जारी है, जिससे ३५ लाख से अधिक यात्रियों की यात्रा प्रभावित हो रही है।
‘आमची मुंबई, आमची बेस्ट’ ने नीति को बताया ‘विफल’
नागरिकों के संगठन ‘आमची मुंबई, आमची बेस्ट’ ने इस स्थिति को बेस्ट की ‘गलत नीति’ का सीधा परिणाम करार दिया है और मांग की है कि इस नीति को तुरंत रद्द किया जाए। संगठन के संयोजक विद्याधर दाते ने कहा कि बेस्ट को तत्काल मनपा फंड का उपयोग करके ३,००० नई बसों की खरीद करनी चाहिए और इन बसों का संचालन बेस्ट के अपने कर्मचारियों द्वारा किया जाना चाहिए। दाते ने आरोप लगाया कि ठेकेदार बसों का सही रख-रखाव करने में असमर्थ है, जिसके कारण बार-बार ब्रेकडाउन और मरम्मत की समस्या हो रही है। इसके चलते बेस्ट को ठेकेदार पर जुर्माना लगाना पड़ रहा है। ठेकेदार के मुताबिक, मिडी बसों में यात्रियों की अत्यधिक भीड़ और बसों की लगातार मरम्मत ने उन्हें ११२ करोड़ रुपए के भारी घाटे में डाल दिया है। यह घटनाक्रम बेस्ट की बस सेवा की कमजोरियों को उजागर करता है। खासकर तब जब निजीकरण के प्रयासों के बावजूद, बेस्ट यात्री सुविधा सुनिश्चित करने में विफल रही है।
ऐसी है बेस्ट बेड़े की हालात
बेस्ट की बस सेवा पिछले कुछ वर्षों में भारी गिरावट का सामना कर रही है। २०१० में बेस्ट के पास ४,३८५ बसों का एक मजबूत सार्वजनिक बेड़ा था, लेकिन जुलाई २०२४ तक यह संख्या घटकर सिर्फ ३,१५८ रह गई। चिंताजनक बात यह है कि इनमें से केवल १,०७२ बसें ही बेस्ट के स्वामित्व में हैं, जबकि बाकी बसें ठेके पर आधारित हैं।