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अनुदान नहीं, महंगाई से मुक्ति चाहती हैं `लाडली बहनें’! …दिवाली से पहले महंगाई ने निकाला दिवाला

सामना संवाददाता / मुंबई
विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर खोके सरकार ने ‘लाडली बहन’ योजना पेश की है और अब इसे खूब प्रचारित करने का कार्य कर रही है, लेकिन शिंदे सरकार जहां एक तरफ बहनों को केवल १,५०० रुपए का भुगतान कर रही है, वहीं दूसरी ओर औसतन १०० रुपए की कीमत पर मिलनेवाला खाद्य तेल दिवाली के ऐन मौके पर १५० रुपए तक पहुंच गया है। दाल, सूजी, आटा, चीनी, घी और अन्य दालों में भी १५ से २० रुपए प्रति किलो की बढ़ोतरी हुई है। इससे यह साफ होता है कि आनेवाली दिवाली में आम नागरिकों को दिवाली व्यंजन बनाने के लिए अपनी जेब ढीली करनी पड़ेगी। बढ़ती महंगाई के इस तड़के ने घर की `होममिनिस्टर’ यानी गृहिणियों का बजट गड़बड़ा दिया है। ऐसे में दिवाली से पहले ही बढ़ती महंगाई ने दीवाला निकाल दिया है।
बता दें कि ऐन दिवाली के मौके पर अनाज, तेल, दालें, सूजी, आटा और घी के दामों में वृद्धि हुई है। सब्जियों के दाम कम होने की उम्मीद नहीं है। वापसी की बारिश से खेती पूरी तरह चौपट हो गई है, जिसके चलते खाद्य पदार्थों के दाम सातवें आसमान पर पहुंच गए हैं। इन सब का असर महंगाई पर पड़ा है। विधानसभा चुनाव में वोटों पर नजर रखते हुए शिंदे सरकार ने महिलाओं के लिए ‘मुख्यमंत्री की लाडली बहन’ योजना शुरू की। इस योजना के तहत पात्र महिलाओं के बैंक खाते में डेढ़ हजार रुपए प्रति माह देना शुरू कर दिया गया है, लेकिन महंगाई कम करने के लिए कोई उपाय योजना अब तक नहीं किया गया है। आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में भारी वृद्धि के कारण घर को संभालनेवाली बहनों का रसोई बजट पूरी तरह से चरमरा गया है।

ऐन दिवाली पर किचन का बजट ग़ड़बड़ाया

महाराष्ट्र की `घाती’ सरकार ‘लाडली बहन’ योजना के लिए १,५०० रुपए देने की बजाय महंगाई कम करती तो आम नागरिकों को इसका फायदा अधिक होता। गैस सिलिंडर महंगा होने के कारण एक बार फिर से चूल्हे पर खाना बनाने की नौबत आ गई है। बढ़ती महंगाई पर भायंदर की गृहिणी सविता वर्मा ने बताया कि सरकार से डेढ़ हजार मिल रहे हैं लेकिन रसोई का बजट तीन गुना बढ़ गया है। पवई की रहनेवाली भावना सिंह का कहना है कि शिंदे सरकार `लाडली बहनों’ को अनुदान दे या न दे, लेकिन महंगाई से मुक्ति जरूर दिला दे।
इतनी महंगाई, कैसे मनाएं दीपावली?
खाद्य तेल, सूजी, बेसन, चने की दाल के दाम बढ़ गए हैं। बाजार की कीमत २०० रुपए है, उसे ४०० रुपए चुकाने पड़ते हैं। दरें बढ़ने से घरेलू खर्च प्रति माह दो से ढाई हजार रुपए बढ़ गया है। ऐसे में आम गृहिणियां सोच रही हैं कि दिवाली का व्यंजन वैâसे बनाया जाए। आय वही है, लेकिन जैसे-जैसे महंगाई का ग्राफ बढ़ता जा रहा है, आम लोगों को परिवार चलाने के लिए आर्थिक रूप से कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है। एक गृहिणी सुमन शर्मा ने महंगाई को लेकर अपनी नाराजगी व्यक्त की है।

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