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वसई में लगा कचरे का अंबार …सड़क पर जमा गटर के पानी से लोग परेशान

राधेश्याम सिंह / वसई
वसई-विरार महानगर मनपा क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों से कचरे का अंबार लगने से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही क्षेत्र में विभिन्न प्रकार की घातक बीमारियों के पैâलने का डर लोगों को सता रहा है। तीन दिनों की बारिश के कारण सड़कों सहित आवासीय परिसरों के बाहरी इलाकों में लगे कचरे के ढेर के सड़ने और उनसे उठनेवाली दुर्गंध से नागरिक परेशान हैं। वसई-विरार मनपा के अंतर्गत आनेवाले संतोष भवन, बिलाल पाड़ा, श्री राम नगर, धानीव बाग, वाकन पाड़ा, जाबर पाड़ा, अलकापुरी, शंखेश्वर नगर, शिरडी नगर, बाबुल पाड़ा, नगीन दास पाड़ा जैसे स्लम एरिया में कचरे का अंबार लगा है। नालासोपारा (पूर्व) के सार्इंनाथ नगर में रहनेवाली संगीता ने बताया कि सार्इंनाथ नगर बिल्डिंग नंबर ४ और ७ के आसपास गटर का पानी हर समय जमा रहता है। पानी निकासी के लिए गटर न होने के कारण सड़क पर गटर का पानी हर वक्त जमा रहता है, जिससे क्षेत्र में भयंकर बीमारी फैलने का खतरा हर समय बना रहता है। स्थानीय रहिवासी वर्षा सिंह और रसिक भाई राठौड़ का कहना है कि वसई-विरार मनपा इन क्षेत्रों से घरपट्टी टैक्स वसूलती है, लेकिन बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए मनपा के अधिकारी टाल-मटोल करते हैं। वहीं स्लम क्षेत्र में भी कुछ न कुछ कारण बताकर मनपा के अधिकारी इन क्षेत्रों में सड़क, गटर, पीने का पानी, स्ट्रीट लाइट या अन्य सुविधाएं मुहैया करवाने से कन्नी काटते दिखाई देते हैं। चुनाव के समय राजनीतिक पार्टियां इन क्षेत्रों में रहनेवाले को सभी सुविधाएं मुहैया करवाने का आश्वासन तो देती हैं, परंतु चुनाव के खत्म होने के बाद उन क्षेत्रों में किसी भी प्रकार की सुविधाएं मुहैया नहीं कराई जाती। महानगरपालिका के आरोग्य विभाग अधिकारी कागजों पर साफ-सफाई के बड़े-बड़े दावे करते हैं, लेकिन हकीकत तो यह है कि अधिकांश जगहों पर कचरे का अंबार लगा हुआ है। जब इस बारे में वसई महानगरपालिका के आरोग्य विभाग के अधिकारी से पूछा तो उन्होंने कहा कि इस बारे में मुझे जानकारी नहीं है। अगर कहीं कचरा जमा है तो उसे जल्द से जल्द उठवा लिया जाएगा। जबकि वसई-विरार मनपा क्षेत्र में प्रतिदिन लगभग ८०० मीट्रिक टन कचरा उत्पन्न होता है। इसमें ६० फीसदी गीला और ४० फीसदी सूखा कचरा होता है।

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