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सांसद धर्मेंद्र यादव के बहनोई अनुजेश प्रताप को भाजपा ने बनाया करहल से उम्मीदवार!

धर्मेंद्र बोले उनसे मैंने रिश्ता तोड़ लिया

मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ

आजमगढ़ से समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव ने अपने बहनोई अनुजेश प्रताप सिंह से पांच साल पहले ही रिश्ता तोड़ने के सार्वजनिक ऐलान की याद दिलाई है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुजेश प्रताप सिंह को करहल विधानसभा उपचुनाव का टिकट दिया है जिन्हें रिश्ते में अपने ही भतीजे तेज प्रताप सिंह यादव से लड़ना होगा। मुलायम सिंह यादव के भाई अभय राम सिंह के दो बच्चे हैं, एक धर्मेंद्र यादव और दूसरी संध्या यादव। अनुजेश संध्या के पति हैं। सपा के टिकट पर लड़ रहे लालू यादव के दामाद और पूर्व सांसद तेज प्रताप सिंह यादव मुलायम के भाई रतन सिंह के पोते हैं। कन्नौज से इस साल लोकसभा चुनाव जीतने के बाद अखिलेश यादव ने करहल विधानसभा सीट छोड़ दी थी। भाजपा द्वारा अनुजेश को उतारने से अब इस सीट पर मुलायम परिवार के ही फूफा और भतीजा के बीच लड़ाई होगी। करहल सीट पर 10 चुनाव से समाजवादी दलों और 1993 से सपा का लगातार कब्जा है। करहल से पहली बार मुलायम के परिवार से अखिलेश यादव ने 2022 का चुनाव लड़ा और जीतकर विधानसभा में नेता विपक्ष बने थे।

लालू यादव के दामाद तेज प्रताप सिंह यादव मैनपुरी लोकसभा सीट से एक बार सांसद रह चुके हैं। इस चुनाव में उनको मौका नहीं मिल पाया। मैनपुरी से इस बार अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव लड़कर लोकसभा गई हैं। तेज प्रताप को अखिलेश ने अपनी सीट से विधानसभा लड़ाया है। अनुजेश प्रताप की मां उर्मिला यादव दो बार विधायक रही हैं, पत्नी संध्या भी भाजपा मेंअनुजेश प्रताप ने 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान ही भारतीय जनता पार्टी का हाथ थाम लिया था। धर्मेंद्र यादव ने तभी एक बयान जारी कर कहा था कि भाजपा के किसी नेता से उनका कोई संबंध नहीं हो सकता। सपा सांसद ने मीडिया के लिए तब जारी इस अपील में पत्रकारों से आग्रह किया था कि अनुजेश प्रताप सिंह को उनके बहनोई या रिश्तेदार के तौर पर ना दिखाया जाए। अनुजेश प्रताप सिंह की मां उर्मिला यादव सपा के टिकट पर घिरोर से दो बार विधायक रही हैं। उर्मिला यादव को 2011 में मुलायम सिंह ने पार्टी से निकाल दिया था। उसके बाद वो कांग्रेस में शामिल हो गई थीं। अनुजेश की पत्नी और धर्मेंद्र यादव की बहन संध्या यादव सपा के टिकट पर मैनपुरी में 2015 की जिला पंचायत अध्यक्ष बनी थीं लेकिन 2017 में सपा ने ही उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला दिया था। तब भाजपा की मदद से उनकी कुर्सी बची। अनुजेश उसी साल बीजेपी में शामिल हो गए थे और बाद में संध्या भी भाजपा में शामिल हो गईं।”

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